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Saturday, December 20, 2025

गैर-निष्पादित आस्तियां (Non-Performing Assets - NPA)

 


गैर-निष्पादित आस्तियां (Non-Performing Assets - NPA)

   गैर-निष्पादित आस्तियां वह ऋण या एडवांस होते हैं जो बैंक या वित्तीय संस्थान को समय पर चुकता नहीं किए जाते। सरल शब्दों में, जब कोई बैंक से ऋण लेता है और उसे समय पर ब्याज या मूलधन के रूप में वापस नहीं करता, तो वह ऋण बैंक के लिए गैर-निष्पादित आस्ति बन जाता है।

   गैर-निष्पादित आस्तियों की विशेषताएँ (Characteristics of non-performing assets)

1.    किसी भी ऋण को एनपीए तभी माना जाता है जब उधारकर्ता 90 दिनों तक ब्याज या मूलधन की किश्त का भुगतान नहीं करता।

2.    एनपीए से बैंकों की आय प्रभावित होती है, क्योंकि बैंक उस पर ब्याज नहीं कमा सकते हैं और इससे उनकी पूंजी और लाभप्रदता में कमी आती है।

3.    अधिक एनपीए बैंकों की बैलेंस शीट को कमजोर करता है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ता है।

   एनपीए का प्रभाव

1.    एनपीए के बढ़ने से बैंकों की आय पर असर पड़ता है क्योंकि वे इस पर ब्याज नहीं कमा पाते हैं।

2.    अधिक एनपीए से बैंकों की उधार क्षमता घटती है, जिससे आर्थिक विकास में कमी आ सकती है।

3.    बैंक जिनकी एनपीए दर अधिक होती है, उन पर निवेशकों का विश्वास कम हो जाता है।

   एनपीए को नियंत्रित करने के उपाय

1.    बैंकों को ऋण देने की प्रक्रिया में सख्ती बरतनी चाहिए ताकि केवल पात्र ग्राहकों को ही ऋण दिया जा सके।

2.    बैंकों को उन तरीकों पर ध्यान देना चाहिए जो उधारकर्ताओं से धन की वसूली में मदद कर सकते हैं, जैसे कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (प्ठब्)।

3.    एनपीए की समस्या को समय पर पहचानकर उसका हल निकाला जा सकता है, जैसे नियमित पुनर्गठन और निरीक्षण।

   सरफरेसी अधिनियम 2002- (SARFAESI Act 2002 2002)

(The Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002)

   सरफेसी अधिनियम बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को ऋण वसूली के लिए वाणिज्यिक या आवासीय संपत्तियों की नीलामी करने की अनुमति देता है, जब कोई उधारकर्ता ऋण राशि चुकाने में विफल रहता है।

   इसके अलावा,सरफेसी अधिनियम, 2002 बैंकों को वसूली विधियों और पुनर्निर्माण के माध्यम से अपनी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को कम करने में सक्षम बनाता है।

   सरफेसी अधिनियम में प्रावधान है कि बैंक कृषि भूमि को छोड़कर किसी उधारकर्ता की संपत्ति को अदालत में जाए बिना जब्त कर सकते हैं। असुरक्षित संपत्तियों के मामले में, बैंक को अदालत में जाना होगा और डिफॉल्टरों के खिलाफ सिविल मामला दायर करना होगा।

   गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की श्रेणियाँ

   90 दिनों से अधिक समय तक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की अवधि के आधार पर, उन्हें विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।

   घटिया परिसंपत्ति- एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति जो 12 महीने से कम या उसके बराबर समय से बकाया है, वह घटिया परिसंपत्ति है।

   संदिग्ध परिसंपत्ति- यह एक ऐसी परिसंपत्ति है जो 12 महीने से अधिक समय तक एनपीए बनी हुई है।

   घाटे वाली परिसंपत्ति- एक परिसंपत्ति जो 3 साल से अधिक समय तक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति बनी रहती है, वह घाटे वाली परिसंपत्ति होती है। ऐसा तब होता है जब बैंक को कुल नुकसान का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह परिसंपत्ति की वसूली नहीं कर पाता है।

   राज्य में एनपीए की स्थिति

   प्रदेश में निजी बैंकों, लघु वित्त बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों में क्रमशः 47 प्रतिशत, 19 प्रतिशत, और 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

   यह बैंकिंग क्षेत्र की संपत्ति गुणवत्ता में सुधार को दर्शाता है, जो कि वित्तीय स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत है।

   सरकार द्वारा बैंकिंग सेवाओं के विस्तार और ऋण की पहुंच को बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों से मध्य प्रदेश में आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बल मिल रहा है। एन पी ए में आई कमी से बैंकिंग क्षेत्र की सुदृढ़ता और सुधार के संकेत मिलते हैं, जिससे भविष्य में राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिलेगी।

 

 

 

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