पृष्ठभूमि
1292 में अलाउद्दीन
खिलजी ने मालवा पर आक्रमण कर परमार शासन को समाप्त कर दिया. इस विजय के बाद से ही
मालवा दिल्ली सल्तनत का एक प्रान्त बन गया. 1392 में तुगलक सुल्तान फिरोज शाह
तुगलक ने दिलावर खान नामक अफगान सरदार को मालवा का सूबेदार यानि गवर्नर बनाया
1388 में फिरोज की मृत्यु
के बाद सलतन में उथल पुथल आरम्भ हो गया. रही सही कसर 1398 ई. में ट्रांस औक्सियाना के चगताई शासक तैमूर ने भारत पर आक्रमण करके पूरी कर
दी ।
👉 इस आक्रमण के बाद तुगलक वंश का पतन हुआ और दिल्ली सल्तनत लगभग एक सदी तक संभल
न सकी।
मालवा सल्तनत की स्थापना (1401 ई.)
- ऐसी परिस्थितियों का लाभ उठाकर दिलावर खान जिसका वास्तविक नाम हुसैन गोरी था ने 1398 से दिल्ली को राजस्व देना बंद कर दिया और 1401 ई. में स्वतंत्र मालवा सल्तनत की स्थापना कर गोरी वंश की नींव रखी।
गोरी वंश के शासक
- दिलावर खान – संस्थापक।
- होशंग शाह गोरी (अल्प खान) –बेटा।
- दिलावर खान की मृत्यु के बाद 1406 में उसका पुत्र अलप खाँ गोरी वंश एवं मालवा सल्तनत का दूसरा शासक बना.
मालवा का शासक बनने के बाद होशंगशाह की उपाधि धारण की.
- उसने मालवा की राजधानी को धार
से मांडू स्थानांतरित कर मांडू
का नाम "शादियाबाद" (आनंद का शहर) रखा।
- उसने मांडू को एक मजबूत और
दुर्जेय किले के रूप में विकसित किया. धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाते हुए, उन्होंने अपने प्रशासन में राजपूतों को भी शामिल किया.
- होशंगशाह का स्थापत्य में
योगदान
- उसने मांडू में कई खुबसूरत भवन
निर्मित करवाए, जिनमें प्रमुख है –
- हिंडोला महल (दरबार हॉल)
- महल की बाहरी दीवारें 77 डिग्री के कोण पर
झुकी हुई हैं, जिसके कारण यह एक झूलते हुए
झूले की तरह दिखता है, और
इसीलिए इसका नाम हिंडोला महल पड़ा.
- होशंगशाह का मकबरा
- होशंगशाह का मकबरा मांडू में स्थित है और
इसे भारत का पहला संगमरमर का मकबरा माना जाता है. इस मकबरे की वास्तुकला
अफगान और हिंदू शैलियों का मिश्रण है. यह मकबरा अपनी वास्तुकला की सुंदरता के
कारण प्रसिद्ध है और इसे मध्य प्रदेश का ताजमहल भी कहा जाता है.
- होशंगशाह की मृत्यु और
उत्तराधिकार
- 1435
ईस्वी में होशंगशाह की मृत्यु
हो गई. उनके बाद उनके पुत्र गजनी खाँ ने मुहम्मदशाह की उपाधि धारण कर गद्दी
संभाली, लेकिन बाद में अयोग्य साबित
होने पर वज़ीर महमूद खाँ ने उन्हें अपदस्थ कर दिया.
- उसने नर्मदा तट पर होशंगाबाद
शहर की स्थापना।
- उसके शासनकाल में मांडू एक सशक्त सांस्कृतिक केंद्र
बना।
खिलजी वंश (1435 ई.)
- महमूद खिलजी मालवा के खिलजी वंश का सस्थापक था. 1435 ई.
में होशंग शाह के बेटे मोहम्मद शाह की हत्या के बाद महमूद
खिलजी मालवा का सुल्तान
बना और खिलजी वंश की स्थापना की।
- गयासुद्दीन शाह (1469–1500 ई.)
- महमूद खिलजी का बेटा।
- उसने महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान दिया।
- अपने दरबार की महिलाओं को पढ़ाने हेतु सारंगपुर
में मदरसा बनवाया।
गुजरात और मुगलों के संघर्ष
- 1531
ई. – गुजरात के शासक बहादुर
शाह ने मालवा पर आक्रमण कर कब्जा किया।
- 1535–1536
ई. – मुगल सम्राट हुमायूं ने
बहादुर शाह को हराकर एक वर्ष तक मालवा पर शासन किया।
- 1537
ई. – खिलजी वंश के अधिकारी कादिर
शाह ने पुनः कुछ हिस्सों पर कब्जा किया।
- 1542
ई. – शेरशाह
सूरी ने कादिर शाह को हराकर शुजात
खान को गवर्नर बनाया।
बाज बहादुर (1555–1562 ई.)
- शुजात खान का बेटा बाज
बहादुर मालवा का अंतिम सुल्तान था।
- उसके पुत्र, बाज़ बहादुर ने 1555 में स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया। 1561 में, सम्राट
- 1555
ई. में उसने स्वयं को स्वतंत्र घोषित किया।
- वह अपनी हिंदू
रानी रूपमती के साथ प्रेम प्रसंग के लिए
प्रसिद्ध है।
- 1561
ई. – अकबर ने अधम
खान और पीर मुहम्मद खान के नेतृत्व में मुगल सेना भेजी, जिसने मालवा पर हमला किया और 29 मार्च 1561 को
सारंगपुर की लड़ाई में बाज बहादुर को हराया, जो मालवा पर मुगल विजय के साथ समाप्त हुआ ।
- अधम खान ने रानी रूपमती को कैद कर लिया। रानी
रूपमती ने बाज बहादुर की हार की खबर सुनकर जहर
खा लिया।
- 1562
ई. – अकबर ने मालवा पर कब्जा किया। यह हिंदुस्तान पर
अकबर की प्रथम विजय थी.
- 1570
ई. – बाज बहादुर ने आगरा में अकबर के सामने आत्मसमर्पण
कर दिया और मुगलों की सेवा में शामिल हो गया।
- मालवा मुगल साम्राज्य का सूबा
बन गया, जिसकी राजधानी उज्जैन बनायी गयी और अब्दुल्ला खान इसके
पहले गवर्नर बने। तब से मांडू की रौनक समाप्त होती गयी.
मांडू के स्थापत्य और स्मारक
🏛 होशंग शाह का मकबरा
- भारत का पहला संगमरमर का मकबरा।
- कहा जाता है कि शाहजहाँ
ने ताजमहल निर्माण से पहले अपने वास्तुकारों को यहाँ अध्ययन
के लिए भेजा था।
🏛 मांडू का जहाज महल
- सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने
इसका निर्माण अपनी 15,000 रानियों के हरम के लिए आरामगाह के तौर पर किया गया था।
- यह मांडू के हौज़-ए-शम्सी में
स्थित है, और इसकी झील में दिखने वाली
परछाईं के कारण इसे जहाज महल कहा जाता है। यह दो झीलों- कपूर
और मुंज सागर तालाब के बीच बना है और इसकी
वास्तुकला अफगान, मुगल और हिंदू शैलियों का
मिश्रण है।
🏛 जामा मस्जिद
- निर्माण की शुरुआत होशंग
शाह के शासनकाल में हुई।
- 1454
ई. में महमूद
खिलजी के समय पूर्ण हुई।
- मुगल वास्तुकला शैली का प्रभाव।
🏛 हिंडोला महल
- निर्माण – लगभग 1425 ई.
(होशंग शाह का काल)।
- इसका उपयोग संभवतः दर्शक
कक्ष (Audience Hall) के रूप में हुआ।
🏛 रेवाकुंड
- बाज बहादुर द्वारा रानी
रूपमती के लिए बनवाया गया जलाशय।
- रूपमती महल को पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया।
- यहीं से रानी नर्मदा नदी को निहारती थीं।
🔶 निष्कर्ष
मालवा सल्तनत का इतिहास तैमूर के आक्रमण से
शुरू होकर बाज बहादुर और रानी रूपमती की कथा तक फैला हुआ है। मांडू की स्थापत्य
धरोहर जैसे जहाज महल, हिंडोला महल, जामा मस्जिद और होशंग शाह का मकबरा आज भी इस गौरवशाली इतिहास की गवाही देते
हैं।
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