🌿 Plantae और Animalia जगत – जीव जगत की दो प्रमुख श्रेणियाँ | Rudra’s IAS Bhopal
Meta Description (150 words):
Plantae और Animalia जीव जगत के दो प्रमुख Kingdom हैं जो पृथ्वी पर जीवन की नींव रखते हैं। पादप स्वपोषी हैं जबकि जंतु परपोषी। इस लेख में हम
दोनों जगतों की विशेषताएँ, वर्गीकरण, अंतर, और पारस्परिक संबंध को समझेंगे। यह सामग्री Rudra’s IAS Institute, Bhopal द्वारा तैयार की गई है — जो UPSC और MPPSC विद्यार्थियों के लिए जीव विज्ञान का विश्वसनीय स्रोत है। अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट www.rudrasiasblogs.com पर जाएँ।
🌱 परिचय – Plantae और Animalia का महत्त्व
पृथ्वी पर जीवन का आधार है — विविधता (Biodiversity)।
जीवों की इस विविधता को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने इन्हें विभिन्न जगतों (Kingdoms) में बाँटा।
इनमें से सबसे महत्वपूर्ण दो हैं – Plantae (पादप जगत) और Animalia (जंतु जगत)।
ये दोनों ही जगत हमारे पर्यावरणीय तंत्र (Ecosystem) के स्तंभ हैं — जहाँ पादप भोजन के उत्पादक (Producers) हैं और जंतु उपभोक्ता (Consumers)।
🌿 Plantae Kingdom (पादप जगत)
🔹 Plantae की परिभाषा:
Plantae वे जीव हैं जो सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के माध्यम से भोजन स्वयं बनाते हैं।
इन्हें स्वपोषी (Autotrophic) कहा जाता है।
🔹 मुख्य विशेषताएँ (Characteristics of Plantae):
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ये बहुकोशिकीय (Multicellular) होते हैं।
-
इनकी कोशिका भित्ति (Cell Wall) सेल्यूलोज (Cellulose) से बनी होती है।
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क्लोरोफिल (Chlorophyll) उपस्थित होता है।
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अधिकांश पौधे स्थिर (Non-motile) होते हैं।
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बीज या बीजाणु द्वारा प्रजनन करते हैं।
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जड़, तना, पत्तियाँ, पुष्प आदि अंग स्पष्ट रूप से विभाजित होते हैं।
🌾 पादप जगत का वर्गीकरण (Classification of Plantae):
| क्रम | वर्ग | उदाहरण |
|---|---|---|
| 1 | थैलोफाइटा (Thallophyta) | शैवाल (Algae) |
| 2 | ब्रायोफाइटा (Bryophyta) | मॉस, लीवरवर्ट्स |
| 3 | टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) | फर्न (Ferns) |
| 4 | जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms) | चीड़, देवदार |
| 5 | एंजियोस्पर्म (Angiosperms) | गेहूँ, आम, गुलाब |
🌿 Plantae का पर्यावरणीय योगदान:
-
ऑक्सीजन का प्रमुख स्रोत।
-
खाद्य शृंखला का प्रथम स्तर।
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औषधीय एवं औद्योगिक उपयोग।
-
जलवायु नियंत्रण एवं प्रदूषण नियंत्रण।
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मृदा संरक्षण और उर्वरता बनाए रखना।
🐾 Animalia Kingdom (जंतु जगत)
🔹 Animalia की परिभाषा:
Animalia जगत के जीव परपोषी (Heterotrophic) होते हैं — अर्थात् ये अन्य जीवों से भोजन प्राप्त करते हैं।
इनमें ऊर्जा उत्पादन के लिए पाचन, श्वसन, और तंत्रिका तंत्र जैसी जटिल संरचनाएँ विकसित होती हैं।
🔹 मुख्य विशेषताएँ (Characteristics of Animalia):
-
सभी जंतु बहुकोशिकीय और परपोषी होते हैं।
-
कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
-
अधिकांश गतिशील (Motile) होते हैं।
-
विकसित तंत्रिका तंत्र और संवेदन अंग उपस्थित होते हैं।
-
शरीर अंग-तंत्रों में विभाजित होता है।
-
प्रजनन लैंगिक या अलैंगिक दोनों प्रकार से होता है।
🦋 Animalia का वर्गीकरण (Classification of Animalia):
1. अकशेरुकी (Invertebrates):
रीढ़ की हड्डी रहित जीव।
उदाहरण – स्पंज, कीट, केंचुआ, मकड़ी, स्टारफिश, घोंघा आदि।
2. कशेरुकी (Vertebrates):
रीढ़ की हड्डी वाले जीव।
मुख्य उपसमूह:
-
Pisces – मछलियाँ
-
Amphibia – मेंढक
-
Reptilia – सांप, छिपकली
-
Aves – पक्षी
-
Mammalia – स्तनधारी जैसे मानव, गाय, शेर
🔬 Plantae और Animalia में अंतर (Difference Between Plantae and Animalia):
| विशेषता | Plantae | Animalia |
|---|---|---|
| पोषण | स्वपोषी | परपोषी |
| गतिशीलता | स्थिर | गतिशील |
| कोशिका भित्ति | उपस्थित | अनुपस्थित |
| तंत्रिका तंत्र | अनुपस्थित | उपस्थित |
| ऊर्जा स्रोत | सूर्य का प्रकाश | भोजन |
| श्वसन | स्टोमाटा द्वारा | फेफड़े/गलफड़े द्वारा |
🌏 दोनों जगतों का पारस्परिक संबंध (Interdependence of Plantae & Animalia):
पादप और जंतु एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
-
पौधे ऑक्सीजन और भोजन प्रदान करते हैं।
-
जंतु कार्बन डाइऑक्साइड देते हैं जो प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होती है।
-
इस प्रकार दोनों मिलकर जैविक संतुलन (Ecological Balance) बनाए रखते हैं।
📘 प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु उपयोगी तथ्य:
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Five Kingdom Classification – R.H. Whittaker (1969) द्वारा।
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Plantae – Autotrophic, Cell Wall वाली कोशिकाएँ।
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Animalia – Heterotrophic, गतिशील जीव।
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MPPSC और UPSC में बार-बार प्रश्न आते हैं जैसे:
-
पादप जगत का सबसे सरल जीव कौन सा है? → शैवाल (Algae)
-
जंतु जगत का सबसे जटिल समूह कौन सा है? → Mammalia
-
🧭 निष्कर्ष (Conclusion):
Plantae और Animalia न केवल जीव जगत की दो प्रमुख श्रेणियाँ हैं, बल्कि ये पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की आधारशिला हैं।
पादप भोजन के उत्पादक हैं और जंतु उपभोक्ता — दोनों का संतुलन ही पर्यावरण को जीवंत रखता है।
इसी पारस्परिकता ने जीवन को निरंतरता दी है।
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