भाग 5: विजयनगर और बहमनी साम्राज्य
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शासक/वंश/विभाग |
तथ्य/विवरण |
महत्वपूर्ण उपलब्धि |
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विजयनगर साम्राज्य |
संस्थापक |
हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में तुंगभद्रा नदी के
दक्षिणी तट पर स्थापना की। |
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राजधानी |
हंपी |
वर्तमान कर्नाटक में स्थित। |
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वंश क्रम |
संगम, सालुव, तुलुव, अरविदु |
संगम वंश 1336–1485 तक चला। |
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बक्का I की उपाधि |
वेदमार्ग प्रतिष्ठापक |
वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों
की नवीन टीकाएँ लिखवाईं। |
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कृष्णदेव राय |
उपाधियाँ |
अभिनव भोज या आंध्र भोज के रूप में प्रसिद्ध थे। |
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कृष्णदेव राय की रचनाएँ |
आमुक्तमाल्यद, जाम्बवती कल्याणम |
तेलुगु ग्रंथ आमुक्तमाल्यद और संस्कृत नाटक जाम्बवती कल्याणम की रचना की। |
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अष्ट दिग्गज |
तेलुगु कवि |
उनके दरबार में तेलुगु साहित्य
के 8 सर्वश्रेष्ठ कवि रहते थे। अल्लसानि पेद्दन (तेलुगु कविता के पितामह) इनमें
शामिल थे। |
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बाबर का मत |
सर्वाधिक शक्तिशाली शासक |
बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी में कृष्णदेव राय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली
शासक बताया। |
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विदेशी यात्री |
डोमिंगोस पायस, फर्नाओ नूनीज़ |
कृष्णदेव राय के समय में
विजयनगर की यात्रा पर आए थे। |
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तालीकोटा का युद्ध |
25 जनवरी, 1565 |
इसे राक्षसी-तंगड़ी का युद्ध या बन्नीहट्टी का युद्ध भी कहते हैं। विजयनगर (रामराया)
की हार हुई। |
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नायकर व्यवस्था |
अमरम |
सेनानायकों (नायकों) को वेतन के
बदले विशेष भू-खंड दिए जाते थे, जिन्हें अमरम कहा जाता था। |
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अयंगार व्यवस्था |
12 प्रशासकीय अधिकारी |
ग्रामीण प्रशासन से जुड़ी थी, गांव पर शासन हेतु 12 प्रशासकीय अधिकारियों (आयंगार) की नियुक्ति की जाती थी। |
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मुद्राएँ |
वराह/पेगोडा |
विजयनगर के शासकों ने सोने के
सिक्के चलवाए, जिन्हें वराह तथा पेगोडा के नाम से जाना जाता था। |
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बहमनी सल्तनत |
संस्थापक |
अलाउद्दीन बहमन शाह (हसन गंगू), 3 अगस्त 1347 को स्थापना की। |
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विघटन |
दक्कन की सल्तनतें |
बहमनी साम्राज्य पाँच भागों में
बँट गया: अहमदनगर, बीजापुर, बरार, गोलकोंडा और बीदर। |
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चाँद बीबी |
अहमदनगर |
1596 में मुगल आक्रमण के खिलाफ निजाम शाह वंश (अहमदनगर) का बचाव किया। |

