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Saturday, December 20, 2025

वित्तीय स्थिति और राजकोषीय प्रदर्शन (Financial position and fiscal performance)

 


वित्तीय स्थिति और राजकोषीय प्रदर्शन (Financial position and fiscal performance)

   किसी सरकार की वित्तीय स्थिति को दर्शाने के लिए राजकोषीय घाटा, राजस्व अधिशेष तथा प्राथमिक घाटा जैसी अवधारणाओं का उपयोग किया जाता है।

   राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit)

   राजकोषीय घाटा सरकार की आय और व्यय का अंतर है। जब सरकार अपने खर्चों के लिए जरूरी राशि आय से अधिक खर्च करती है, तो इस अंतर को वह विभिन्न स्रोतों से उधार लेकर पूरा करती है।

   राजकोषीय घाटे की गणना (Calculation of the fiscal deficit)

   राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल आय (कर और गैर-कर राजस्व, ब्याज रहित)

   उदाहरण के लिए, यदि सरकार का कुल खर्च 100,000 करोड़ रुपये है और उसकी कुल आय 80,000 करोड़ रुपये है, तो राजकोषीय घाटा = 100,000 - 80,000 = 20,000 करोड़ रुपये होगा।

   2024-25 में राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

   2024-25 के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत तक राजकोषीय घाटे की अनुमति दी है। इसमें अतिरिक्त 0.5 प्रतिशत बिजली क्षेत्र के कुछ सुधार करने पर उपलब्ध है।

   संशोधित अनुमान के अनुसार 2023-24 में राज्य का राजकोषीय घाटा जीएसडीपी का 3.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के बजट अनुमान से कम है। 2026-27 तक राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है।

राजकोषीय घाटा

वर्ष

जीएसडीपी का

2024-25

4.1 प्रतिशत

2023-24

4 प्रतिशत का लक्ष्य

2023-24

3.6 प्रतिशत अनुमान

 

   राजस्व अधिशेष (Revenue surplus)

   राजस्व अधिशेष उस स्थिति को कहते हैं जब सरकार की कुल राजस्व आय उसकी कुल राजस्व व्यय से अधिक होती है।

   अर्थात- राजस्व अधिशेष = कुल राजस्व आय - कुल राजस्व व्यय

   राजस्व आय और राजस्व व्यय का अर्थ (Meaning of revenue income and revenue expenditure)

   राजस्व आय- इसमें सरकार की वह आय शामिल होती है, जो वह करों (जैसे आयकर, वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद शुल्क) और गैर-कर स्रोतों (जैसे लाभांश, ब्याज) से प्राप्त करती है। इस आय का उपयोग आमतौर पर सरकार की दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

   राजस्व व्यय- यह वह खर्च होता है जो सरकार के नियमित और प्रशासनिक कार्यों पर होता है, जैसे वेतन, पेंशन, सब्सिडी, और अन्य प्रशासनिक खर्च। यह व्यय कोई स्थायी संपत्ति या बुनियादी ढाँचा नहीं बनाता।

   उदाहरण

   मान लीजिए, एक राज्य की कुल राजस्व आय 50,000 करोड़ रुपये है और उसका कुल राजस्व व्यय 45,000 करोड़ रुपये है।

   राजस्व अधिशेष = 50,000 - 45,000 = 5,000 करोड़ रुपये

   इस प्रकार, इस राज्य को 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष प्राप्त हो रहा है, जो एक सकारात्मक वित्तीय स्थिति का संकेत है।

   बजट में 2024-25 में 1,700 करोड़ रुपए (या जीएसडीपी का 0.1 प्रतिशत) के राजस्व अधिशेष का अनुमान है।

   प्राथमिक घाटा (Primary deficit)

   प्राथमिक घाटा सरकार के कुल राजकोषीय घाटे में से ब्याज भुगतान को घटाने के बाद बची हुई राशि को कहा जाता है।

   प्राथमिक घाटा यह बताता है कि सरकार को अपने वर्तमान खर्चों को पूरा करने के लिए कितना अतिरिक्त उधार लेना पड़ा है, ब्याज के भुगतान को छोड़कर। यह एक महत्वपूर्ण संकेतक है, क्योंकि इससे पता चलता है कि वर्तमान वर्ष में सरकार का शुद्ध उधार कितना है, और यह सरकारी खर्चों की स्थिति को स्पष्ट करता है।

   प्राथमिक घाटे की गणना (Calculation of primary deficit)

   प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान

   उदाहरण

   मान लीजिए, किसी राज्य का राजकोषीय घाटा 60,000 करोड़ रुपये है और उस पर पिछले कर्ज के लिए ब्याज भुगतान 20,000 करोड़ रुपये है। तो, प्राथमिक घाटा = 60,000 - 20,000 = 40,000 करोड़ रुपये। इसका मतलब है कि सरकार को ब्याज चुकाने के बाद भी 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी की आवश्यकता है।

   2024-25 के अंत तक राज्य का बकाया देनदारियां जीएसडीपी का 32 प्रतिशत होने का अनुमान है जो 2023-24 के संशोधित अनुमान (जीएसडीपी का 28 प्रतिशत) से अधिक है। बकाया देनदारियां 2027-28 तक जीएसडीपी का 32 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

मध्य प्रदेश का राजकोषीय प्रदर्शन

मद

2022-23 वास्तविक

2023-24 संशोधित

2024-25 लक्ष्य

राजकोषीय घाटा

41,203

54,449

62,564

जीएसडीपी का प्रतिशत

3.11

3.6

4.11

राजस्व अधिशेष

4,091

621

1,700

जीएसडीपी का प्रतिशत

0.31

0.04

0.11

प्राथमिक घाटा

21,749

30,456

35,164

जीएसडीपी का प्रतिशत

1.6

2.0

2.3

 

   कर राजस्व में वृद्धि

   कर संग्रहण में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है। 2024-25 के लिए कुल राजस्व प्राप्तियां 2,63,344 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो 2023-24 के संशोधित अनुमान से 14 प्रतिशत अधिक है।

   इसमें से 1,22,700 करोड़ रुपए (47 प्रतिशत) राज्य अपने संसाधनों से जुटाएगा और 1,40,645 करोड़ रुपए (53 प्रतिशत) केंद्र से प्राप्त होंगे।

   केंद्र से संसाधन केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी (राजस्व प्राप्तियों का 36 प्रतिशत) और अनुदान (राजस्व प्राप्तियों का 17 प्रतिशत) के रूप में होंगे।

   राज्य जीएसटी कर राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत (लगभग 39 प्रतिशत) है। राज्य जीएसटी राजस्व में 2023-24 के संशोधित अनुमान से 15 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

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