सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में क्षेत्रवार योगदान
प्राथमिक क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो सीधे
प्राकृतिक संसाधनों (जैसे भूमि, जल, खनिज) का उपयोग करके
कच्चे माल का उत्पादन करता है, जिसमें कृषि, वानिकी (जंगल), मछली पकड़ना और खनन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं; यह क्षेत्र अन्य
उद्योगों के लिए आधार बनता है और अक्सर कम विकसित देशों में सबसे महत्वपूर्ण होता
है, जहाँ यह बड़ी आबादी
को रोजगार देता है
वर्तमान मूल्यों पर, प्राथमिक क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धित
(जीएसवीए) में योगदान वित्त वर्ष 2011-12 के 33.85 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 45.53 प्रतिशत हो गया है।
स्थिर मूल्यों पर, यह योगदान 33.85 प्रतिशत से बढ़कर 35.82 प्रतिशत तक पहुंच
गया है।
द्वितीयक क्षेत्र का योगदान
द्वितीयक क्षेत्र (विनिर्माण और निर्माण) का अर्थव्यवस्था
में जीडीपी वृद्धि, रोजगार सृजन, शहरीकरण, तकनीकी उन्नति और
निर्यात बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है, जो कच्चे माल को मूल्यवान उत्पादों (जैसे कपड़े, स्टील, ऑटोमोबाइल) में
बदलकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है, जिससे देश के समग्र
आर्थिक विकास को गति मिलती है।
वर्तमान मूल्यों पर द्वितीयक क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य
वर्धित (जीएसवीए) में योगदान वित्त वर्ष 2011-12 में 27.09 प्रतिशत था, जो घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 18.47 प्रतिशत रह गया।
वित्त वर्ष 2022-23 में यह योगदान 18.93 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 18.47 प्रतिशत हो गया है। सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में
द्वितीयक क्षेत्र के योगदान की यह गिरावट उत्पादन क्षमता और मांग में संभावित
चुनौतियों को दर्शाती है।
राज्य की आर्थिक प्रगति को सतत बनाये रखने के लिए द्वितीयक
क्षेत्र के विकास पर और अधिक जोर दिये जाने और प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने की
आवश्यकता है।
तृतीयक क्षेत्र
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) अर्थव्यवस्था का वह
हिस्सा है जो सेवाएँ प्रदान करता है, न कि मूर्त वस्तुएँ बनाता है; इसमें बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन, खुदरा, मनोरंजन और सूचना
प्रौद्योगिकी जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, जो प्राथमिक (कृषि) और द्वितीयक (विनिर्माण)
क्षेत्रों की तुलना में विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण
क्षेत्र है, जो आर्थिक विकास और
रोज़गार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
तृतीयक क्षेत्र ने मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एक
स्थिर और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तृतीयक क्षेत्र के आंकडे इस तथ्य की ओर
इशारा कर रहे हैं कि प्रदेश में इस क्षेत्र में तुलनात्मक गिरावट आयी है।
वर्तमान मूल्यों पर तृतीयक क्षेत्र का योगदान वित्त वर्ष 2011-12 में 39.06 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 36.00 प्रतिशत हो गया।
वित्त वर्ष 2022-23 में यह योगदान 35.90 प्रतिशत था, जो 2023-24 में बढ़कर 36.00 प्रतिशत हो गया।
स्थिर मूल्यों पर (आधार वर्ष 2011-12) तृतीयक क्षेत्र का
योगदान 39.06 प्रतिशत से बढ़कर 39.64 प्रतिशत हो गया, जो सेवा क्षेत्र की
मजबूती का संकेत है।
मध्य प्रदेश की आर्थिक संरचना में तृतीयक क्षेत्र की
महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य की आर्थिक प्रगति को बनाए रखने के लिए सेवा क्षेत्र
में निरंतर निवेश और सुधार आवश्यक है, जिससे भविष्य में और अधिक स्थिरता और विकास संभव हो सके।
सकल राज्य मूल्य वर्धित में क्षेत्रवार भागीदारी
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2011-12 स्थिर मूल्य पर |
2023-24 में स्थिर मूल्य
पर |
2023-24 में वर्तमान
मूल्यों पर |
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प्राथमिक क्षेत्र |
33.85 |
35.82 |
45.53 |
|
द्वितीयक क्षेत्र |
27.09 |
- |
18.47 |
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तृतीयक क्षेत्र |
39.06 |
39.64 |
36 |

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