Powered By Blogger

Saturday, December 20, 2025

मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में क्षेत्रवार वृद्धि प्रतिशत में (Sector-wise growth percentage in the economy of Madhya Pradesh)

 


मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में क्षेत्रवार वृद्धि प्रतिशत में

मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र की वृद्धि दर

   मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ) का योगदान महत्वपूर्ण है, जो 2023-24 में लगभग 44-45% रहा और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है, खासकर पशुधन और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में, जबकि 2023-24 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग 3.4% रही, जो पिछले वर्ष (5.1%) से कम है, पर समग्र आर्थिक विकास को मजबूती दे रहा है,

प्राथमिक क्षेत्र में वृद्धि दर 2022-23 के 5.1 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 3.4 प्रतिशत पर आ गई।

       मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में द्वितीयक क्षेत्र की वृद्धि दर

   मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग और विनिर्माण) की वृद्धि दर और हिस्सेदारी अलग-अलग वर्षों और आंकड़ों के अनुसार थोड़ी भिन्न होती है, लेकिन 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, द्वितीयक क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में योगदान लगभग 19.03% रहा और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की वृद्धि दर 2023-24 में 7.4% दर्ज की गई थी, जबकि सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय नीतियां अपना रही है, जिससे भविष्य में निवेश और वृद्धि की उम्मीद है.

प्रमुख बातें

उद्योगों को बढ़ावा: मध्य प्रदेश सरकार ने 2024-25 को "उद्योग वर्ष" घोषित किया है और 'उद्योग प्रोत्साहन नीति 2021' जैसी पहल के माध्यम से निवेश आकर्षित कर रही है.

निवेश में वृद्धि: दिसंबर 2024 तक ₹4.17 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिससे रोजगार सृजन की उम्मीद है.

विनिर्माण वृद्धि: 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र में 7.4% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि 2022-23 में यह 5.42% (अनुमानित) थी, जो औद्योगीकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

द्वितीयक क्षेत्र में 2023-24 में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो एक सकारात्मक संकेत है। इस वृद्धि का कारण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में निवेश बढ़ना, सरकारी नीतियों का समर्थन, और औद्योगिक उत्पादन का विस्तार हो सकता है।

मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र की वृद्धि दर

   मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र (सेवा क्षेत्र) का योगदान महत्वपूर्ण है, जो सकल मूल्य वर्धन (GVA) में लगभग 36.61% (2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार) है और लगातार बढ़ रहा है, खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय सेवाओं और आईटी जैसे क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में इसका हिस्सा बढ़कर लगभग 33-34% (2020-21 के अनुमान) से अधिक हो गया है, जो राज्य के समग्र विकास में एक प्रमुख इंजन बन रहा है।

प्रमुख बिंदु:

हिस्सेदारी (2024-25 आर्थिक सर्वेक्षण): प्राथमिक क्षेत्र (कृषि) 44.36%, द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग) 19.03%, और तृतीयक क्षेत्र (सेवाएँ) 36.61%।

ऐतिहासिक रुझान: 2020-21 में यह लगभग 33.55% था, जो बढ़कर 2024-25 में 36.61% हो गया है, जो सेवा क्षेत्र की बढ़ती महत्ता को दर्शाता है।

विकास चालक: शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी, पर्यटन और वित्तीय सेवाएँ जैसे उप-क्षेत्र तृतीयक क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: इस सर्वेक्षण ने राज्य की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के मजबूत योगदान पर प्रकाश डाला है और अगले कुछ वर्षों में और वृद्धि की उम्मीद जताई है, खासकर 'उद्योग वर्ष 2025' के संदर्भ में।

तृतीयक क्षेत्र यानी सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 2022-23 में 11.7 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में घटकर 6.9 प्रतिशत रह गई।

   इस गिरावट का कारण कई हो सकते हैं, जैसे कि महामारी के बाद सेवा क्षेत्र में रिकवरी धीमी हो गई, पर्यटन में कमी, या उपभोक्ता खर्च में गिरावट। सेवा क्षेत्र में आईटी, बैंकिंग, स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल होते हैं, और इसमें कमी का असर राज्य के शहरी क्षेत्रों में रोजगार और उपभोक्ता मांग पर पड सकता है।

मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में क्षेत्रवार वृद्धि प्रतिशत में

 

2022-23

2023-24

प्राथमिक क्षेत्र

5.1

3.4

द्वितीयक क्षेत्र

-

7.4

तृतीयक क्षेत्र

11.7

6.9

 

सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में क्षेत्रवार योगदान (Sector-wise contribution to Gross State Value Added) (GSVA)

 


सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में क्षेत्रवार योगदान

प्राथमिक क्षेत्र

प्राथमिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो सीधे प्राकृतिक संसाधनों (जैसे भूमि, जल, खनिज) का उपयोग करके कच्चे माल का उत्पादन करता है, जिसमें कृषि, वानिकी (जंगल), मछली पकड़ना और खनन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं; यह क्षेत्र अन्य उद्योगों के लिए आधार बनता है और अक्सर कम विकसित देशों में सबसे महत्वपूर्ण होता है, जहाँ यह बड़ी आबादी को रोजगार देता है

वर्तमान मूल्यों पर, प्राथमिक क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में योगदान वित्त वर्ष 2011-12 के 33.85 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 45.53 प्रतिशत हो गया है।

स्थिर मूल्यों पर, यह योगदान 33.85 प्रतिशत से बढ़कर 35.82 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

द्वितीयक क्षेत्र का योगदान

द्वितीयक क्षेत्र (विनिर्माण और निर्माण) का अर्थव्यवस्था में जीडीपी वृद्धि, रोजगार सृजन, शहरीकरण, तकनीकी उन्नति और निर्यात बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है, जो कच्चे माल को मूल्यवान उत्पादों (जैसे कपड़े, स्टील, ऑटोमोबाइल) में बदलकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और बुनियादी ढांचे को मजबूत करता है, जिससे देश के समग्र आर्थिक विकास को गति मिलती है।

वर्तमान मूल्यों पर द्वितीयक क्षेत्र का सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में योगदान वित्त वर्ष 2011-12 में 27.09 प्रतिशत था, जो घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 18.47 प्रतिशत रह गया।

वित्त वर्ष 2022-23 में यह योगदान 18.93 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 18.47 प्रतिशत हो गया है। सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) में द्वितीयक क्षेत्र के योगदान की यह गिरावट उत्पादन क्षमता और मांग में संभावित चुनौतियों को दर्शाती है।

राज्य की आर्थिक प्रगति को सतत बनाये रखने के लिए द्वितीयक क्षेत्र के विकास पर और अधिक जोर दिये जाने और प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

तृतीयक क्षेत्र

तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) अर्थव्यवस्था का वह हिस्सा है जो सेवाएँ प्रदान करता है, न कि मूर्त वस्तुएँ बनाता है; इसमें बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, परिवहन, खुदरा, मनोरंजन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, जो प्राथमिक (कृषि) और द्वितीयक (विनिर्माण) क्षेत्रों की तुलना में विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो आर्थिक विकास और रोज़गार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

तृतीयक क्षेत्र ने मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में एक स्थिर और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तृतीयक क्षेत्र के आंकडे इस तथ्य की ओर इशारा कर रहे हैं कि प्रदेश में इस क्षेत्र में तुलनात्मक गिरावट आयी है। 

वर्तमान मूल्यों पर तृतीयक क्षेत्र का योगदान वित्त वर्ष 2011-12 में 39.06 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 36.00 प्रतिशत हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह योगदान 35.90 प्रतिशत था, जो 2023-24 में बढ़कर 36.00 प्रतिशत हो गया।

स्थिर मूल्यों पर (आधार वर्ष 2011-12) तृतीयक क्षेत्र का योगदान 39.06 प्रतिशत से बढ़कर 39.64 प्रतिशत हो गया, जो सेवा क्षेत्र की मजबूती का संकेत है।

मध्य प्रदेश की आर्थिक संरचना में तृतीयक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य की आर्थिक प्रगति को बनाए रखने के लिए सेवा क्षेत्र में निरंतर निवेश और सुधार आवश्यक है, जिससे भविष्य में और अधिक स्थिरता और विकास संभव हो सके।

सकल राज्य मूल्य वर्धित में क्षेत्रवार भागीदारी

 

2011-12 स्थिर मूल्य पर

2023-24 में स्थिर मूल्य पर

2023-24 में वर्तमान मूल्यों पर

प्राथमिक क्षेत्र

33.85

35.82

45.53

द्वितीयक क्षेत्र

27.09

-

18.47

तृतीयक क्षेत्र

39.06

39.64

36

 

मध्य प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (Madhya Pradesh's Gross Domestic Product)

 


मध्य प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (Madhya Pradesh's Gross Domestic Product)

वर्तमान मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी)

वर्तमान मूल्य पर जीएसडीपी, वृद्धि अर्थव्यवस्था के उस विस्तार को दर्शाती है, जिसमें मुद्रास्फीति के कारण वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में हुई वृद्धि भी शामिल है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए, मध्य प्रदेश का वर्तमान मूल्य पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद 13,63,327 करोड़ रुपये रहा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 12,46,471 करोड़ रुपये था।

इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2023-24 में वर्तमान मूल्य पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद में 9.37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

स्थिर (2011-12) मूल्यों पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी)

स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद का आकलन विभिन्न वर्षो में उत्पादन के मूल्य में तुलनात्मक वृद्धि का पता लगाने के लिए किया जाता है।

वर्ष 2023-24 के लिए स्थिर कीमतों पर जीएसडीपी 6,60,363 करोड़ रुपये थी, जो पिछले वर्ष के 6,22,908 करोड़ रुपये से 6.01 प्रतिशत ज्यादा है।

वर्ष 2024-25 के लिए मध्य प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 8 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।

विगत वर्ष की तुलना में मध्य प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में वृद्धि

वर्ष

जीएसडीपी (स्थिर कीमतों पर) वृद्धि

2023-24

6.6 प्रतिशत लक्ष्य

2023-24

6 प्रतिशत अनुमान

2024-25

8 प्रतिशत का लक्ष्य

 

प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि

किसी देश की आय को उसकी जनसंख्या से भाग देने पर आपको प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होती है, जो किसी देश के जीवन स्तर का सूचक है। प्रति व्यक्ति आय जितनी अधिक होगी, जीवन स्तर उतना ही बेहतर होगा।

वर्तमान मूल्य पर, प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये थी जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1,42,565 रुपये हो गयी है। इसमें लगभग चार गुना की वृद्धि हुई है।

स्थिर मूल्य पर, प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2011-12 में वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये से बढ़कर 2023-24 में 66,441 रुपये हो गयी।

प्रति व्यक्ति आय

वर्ष

2011-12

2023-24

वृद्धि

स्थिर मूल्य पर

38,497 रुपये

66,441 रुपये

लगभग 1.7 गुना

वर्तमान मूल्य पर

38,497 रुपये

1,42,565 रुपये

लगभग 3.7 गुना