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Sunday, September 21, 2025

परमार वंश का इतिहास | वाक्यपति मुंज, राजा भोज और पतन (Parmar dynasty of malwa)

परमार वंश का इतिहास | वाक्यपति मुंज, राजा भोज और पतन

 


परमार वंश का इतिहास, वाक्यपति मुंज की विजयों से लेकर राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों और इल्तुतमिश व अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमणों तक।

स्थापना

  • सीयक द्वितीय ने मालवा में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
  • सीमा:
    • दक्षिण ताप्ती नदी
    • उत्तर झालावाड़
    • पूर्व भेलसा (विदिशा क्षेत्र)
    • पश्चिम साबरमती नदी

वाक्यपति मुंज (सीयक द्वितीय का पुत्र)

  • परमारों की शक्ति को शिखर तक पहुँचाया।
  • महान योद्धा व वंश का सबसे शक्तिशाली शासक।
  • विजय:
    • शाकम्बरी के चाहमान
    • मेवाड़ के गुहिल
    • हूण
    • त्रिपुरी के कलचुरी
    • गुजरात/गुर्जर क्षेत्र के शासक
  • पराजय व मृत्यु: 994 ई. में पश्चिमी चालुक्य तैलप द्वितीय से हारकर मारा गया।

सिंधुराज (मुंज का भाई)

  • शासन: लगभग 990 ई.
  • पश्चिमी चालुक्य राजा सत्याश्रय को हराया।
  • तैलप द्वितीय से हारे हुए क्षेत्र पुनः प्राप्त किए।
  • दरबारी कवि पद्मगुप्त रचना: नवसहसांकचरित

राजा भोज (सिंधुराज का पुत्र)

  • परमार वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक।
  • ऐतिहासिक जानकारी: प्रबन्ध चिंतामणि (मेरूतुंग रचित)।
  • अभिलेखों में नाम: भोजदेव।
  • साम्राज्य का विस्तार:
    • उत्तर चित्तौड़
    • दक्षिण ऊपरी कोंकण
    • पश्चिम साबरमती
    • पूर्व विदिशा

योगदान व कार्य

  • भगवान शिव के अनुयायी।
  • भोजपुर नगर की स्थापना।
    • यहाँ 250 वर्ग मील क्षेत्रफल की एक विशाल झील का निर्माण।
    • बाद में (15वीं शताब्दी) मालवा के सुल्तान हुशंगशाह ने झील को सुखाकर कृषि भूमि बना दी।
    • भोजपुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर आज भी मौजूद।
  • धार में भोजशाला की स्थापना (सरस्वती मंदिर व संस्कृत महाविद्यालय)।
    • माँ सरस्वती की प्रतिमा वर्तमान में ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन।
  • चित्तौड़ त्रिभुवन नारायण मंदिर (भगवान शिव को समर्पित)।
  • विद्वानों का संरक्षण: भाष्कर भट्ट, दामोदर मिश्र, धनपाल।

प्रमुख ग्रंथ (श्रेय भोज को)

  • आयुर्वेदसर्वस्व
  • समरांगण सूत्रधार (स्थापत्य कला व वास्तुकला)
  • राजमृगांक
  • व्यवहार समुच्चय
  • शब्दानुशासन
  • सरस्वती कंठाभरण
  • नाममालिका
  • युक्तिकल्पतरु

भोज के बाद

  • जयसिंह प्रथम (भोज का पुत्र) कलचुरि-चालुक्य आक्रमण का सामना किया।
  • उदयादित्य (भोज का भाई) शासन किया।
    • ग्यारसपुर (विदिशा) में नीलकंठेश्वर मंदिर का निर्माण।
  • धीरे-धीरे परमार वंश कमजोर पड़ा।
  • उज्जैन के उत्तर-पूर्व में छोटा स्वतंत्र राज्य रह गया।

पतन

  • 1234 ई. इल्तुतमिश ने मालवा को लूटा।
  • 1292 ई. अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा पर आक्रमण किया।
  • इसके बाद मालवा की हिन्दू सत्ता समाप्त हो गई।

👉 इस तरह, परमार वंश की वास्तविक शक्ति वाक्यपति मुंज और राजा भोज के काल में अपने शिखर पर रही, लेकिन भोज की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे इसका पतन हो गया।