परमार वंश का इतिहास, वाक्यपति मुंज की विजयों से लेकर राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों और इल्तुतमिश व अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमणों तक।
स्थापना
- सीयक द्वितीय ने
मालवा में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- सीमा:
- दक्षिण → ताप्ती
नदी
- उत्तर → झालावाड़
- पूर्व → भेलसा
(विदिशा क्षेत्र)
- पश्चिम → साबरमती
नदी
वाक्यपति मुंज (सीयक द्वितीय का पुत्र)
- परमारों की शक्ति को शिखर तक पहुँचाया।
- महान योद्धा व वंश का सबसे शक्तिशाली शासक।
- विजय:
- शाकम्बरी के चाहमान
- मेवाड़ के गुहिल
- हूण
- त्रिपुरी के कलचुरी
- गुजरात/गुर्जर क्षेत्र के शासक
- पराजय व मृत्यु: 994 ई.
में पश्चिमी चालुक्य तैलप द्वितीय से हारकर मारा गया।
सिंधुराज (मुंज का भाई)
- शासन: लगभग 990 ई.
- पश्चिमी चालुक्य राजा सत्याश्रय को हराया।
- तैलप द्वितीय से हारे हुए क्षेत्र पुनः प्राप्त किए।
- दरबारी कवि पद्मगुप्त → रचना: नवसहसांकचरित।
राजा भोज (सिंधुराज का पुत्र)
- परमार वंश का सबसे
प्रसिद्ध शासक।
- ऐतिहासिक जानकारी: प्रबन्ध चिंतामणि (मेरूतुंग
रचित)।
- अभिलेखों में नाम: भोजदेव।
- साम्राज्य का विस्तार:
- उत्तर → चित्तौड़
- दक्षिण → ऊपरी
कोंकण
- पश्चिम → साबरमती
- पूर्व → विदिशा
योगदान व कार्य
- भगवान शिव के अनुयायी।
- भोजपुर नगर की
स्थापना।
- यहाँ 250 वर्ग मील क्षेत्रफल
की एक विशाल झील का निर्माण।
- बाद में (15वीं शताब्दी) मालवा
के सुल्तान हुशंगशाह ने झील को सुखाकर कृषि भूमि बना दी।
- भोजपुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर आज भी मौजूद।
- धार में भोजशाला की
स्थापना (सरस्वती मंदिर व संस्कृत महाविद्यालय)।
- माँ सरस्वती की प्रतिमा → वर्तमान
में ब्रिटिश म्यूजियम, लंदन।
- चित्तौड़ → त्रिभुवन
नारायण मंदिर (भगवान शिव को समर्पित)।
- विद्वानों का संरक्षण: भाष्कर भट्ट, दामोदर
मिश्र, धनपाल।
प्रमुख ग्रंथ (श्रेय भोज को)
- आयुर्वेदसर्वस्व
- समरांगण सूत्रधार (स्थापत्य
कला व वास्तुकला)
- राजमृगांक
- व्यवहार समुच्चय
- शब्दानुशासन
- सरस्वती कंठाभरण
- नाममालिका
- युक्तिकल्पतरु
भोज के बाद
- जयसिंह प्रथम (भोज
का पुत्र) → कलचुरि-चालुक्य आक्रमण का सामना किया।
- उदयादित्य (भोज का भाई) → शासन
किया।
- ग्यारसपुर (विदिशा) में नीलकंठेश्वर मंदिर का
निर्माण।
- धीरे-धीरे परमार वंश कमजोर पड़ा।
- उज्जैन के उत्तर-पूर्व में छोटा स्वतंत्र राज्य रह
गया।
पतन
- 1234
ई. → इल्तुतमिश
ने मालवा को लूटा।
- 1292
ई. → अलाउद्दीन
खिलजी ने मालवा पर आक्रमण किया।
- इसके बाद मालवा की हिन्दू
सत्ता समाप्त हो गई।
👉 इस तरह, परमार वंश की वास्तविक शक्ति वाक्यपति मुंज और राजा भोज के काल में अपने शिखर पर रही, लेकिन भोज की मृत्यु के बाद धीरे-धीरे इसका पतन हो गया।

