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Saturday, September 20, 2025

औलिकर वंश का इतिहास | मंदसौर अभिलेख, प्रकाशधर्मा और यशोधर्मा विष्णुवर्धन

 पश्चिमी मध्यप्रदेश का औलिकर वंश: मंदसौर अभिलेख, नरवर्मा से यशोधर्मा तक का इतिहास, हूणों पर विजय और गुप्त कालीन संस्कृति का उत्कर्ष।


 

पश्चिमी मध्य प्रदेश का औलिकर वंश : इतिहास की स्वर्णिम गाथा

मध्यप्रदेश का पश्चिमी भाग, जिसे हम आज मालवा क्षेत्र के रूप में जानते हैं, कभी भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। यही वह भूमि है जहाँ औलिकर वंश ने जन्म लिया और अपनी वीरता से न केवल मालवा, बल्कि सम्पूर्ण उत्तर भारत के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।


📍 स्थापना और राजधानी

औलिकर वंश की स्थापना उस समय हुई जब लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य का परचम लहरा रहा था।
👉 इसकी राजधानी थी दशपुर (आज का मंदसौर)।

इस वंश की जानकारी हमें मिलती है –

  • मंदसौर अभिलेख से

  • कोटरा अभिलेख से

  • वराहमिहिर की बृहत्संहिता से


👑 औलिकर वंश के आरम्भिक शासक

औलिकर वंश के पहले शासक गुप्त राजाओं के सामंत थे।

  • चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पश्चिमी मालवा में औलिकरों को अपना सामंत बनाया।

🔸 नरवर्मा

  • औलिकर वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक

  • अभिलेखों में उनके दादा जयवर्मा और पिता सिंहवर्मा का उल्लेख।

  • उपाधियाँ: देवेन्द्रविक्रम और सिंहविक्रान्तगामिन

🔸 विश्ववर्मा

  • नरवर्मा का उत्तराधिकारी।

  • 423 ई. का गंगधार अभिलेख उन्हें स्वतंत्र शासक बताता है।

  • लेकिन 436 ई. तक गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने उन्हें फिर अपना सामंत बना लिया।

  • उनके शासन में गुजरात से आए रेशमी बुनकरों ने मंदसौर में भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया।

🔸 बन्धुवर्मा

  • विश्ववर्मा का उत्तराधिकारी।

  • चन्द्रगुप्त द्वितीय के पुत्र गोविन्द गुप्त ने इन्हें हटाकर दशपुर पर अधिकार किया।


⚔ स्वतंत्रता और शक्ति का उत्कर्ष

🔥 प्रकाशधर्मा (515 ई.)

  • रिस्थल अभिलेख से प्रसिद्ध।

  • हूण शासक तोर्माण को पराजित किया।

  • अधिराज की उपाधि धारण की।

  • औलिकर वंश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने का श्रेय इन्हें जाता है।

🌟 यशोधर्मा विष्णुवर्धन

  • औलिकर वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक

  • मन्दसौर के अभिलेख बताते हैं कि उन्होंने भयानक हूण शासक मिहिरकुल को पराजित किया।

  • उपाधियाँ: भागवतप्रकाश, राजाधिराज परमेश्वर

  • साम्राज्य विस्तार :

    • पूर्व में लोहित्य नदी (ब्रह्मपुत्र)

    • दक्षिण में महेंद्र पर्वत (पूर्वी घाट)

    • उत्तर में हिमालय की तलहटी

    • पश्चिम में समुद्र तट

उन्होंने मंदसौर में प्रकाशेश्वर शिव मंदिर और विभीषण तड़ाग का निर्माण भी करवाया।


📉 औलिकर वंश का पतन

यशोधर्मा की मृत्यु के बाद वंश तेज़ी से कमजोर पड़ने लगा।

  • यज्ञसेन, वीरसोम, भास्करवर्मा, कुमारवर्मा और कृष्णवर्मा जैसे शासक उल्लेखित हैं।

  • इनकी निर्बलता का लाभ उठाकर वाकाटक और कलचुरी राजाओं ने मालवा पर कब्जा कर लिया।

  • छठवीं शताब्दी के अंत तक औलिकर वंश का अंत हो गया।


📝 निष्कर्ष

औलिकर वंश ने गुप्त साम्राज्य के पतनकाल में पश्चिमी मालवा को एक बार फिर भारतीय राजनीति और संस्कृति का केंद्र बनाया।

  • नरवर्मा ने इसे शक्ति प्रदान की,

  • विश्ववर्मा ने सांस्कृतिक आधार दिया,

  • प्रकाशधर्मा ने स्वतंत्रता दिलाई और

  • यशोधर्मा ने इसे भारतवर्ष के महानतम साम्राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया।

👉 औलिकर वंश का इतिहास हमें यह सिखाता है कि किसी भी साम्राज्य का उत्कर्ष और पतन सत्ता, संघर्ष और साहस की कहानी है।