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Thursday, October 16, 2025

रिवीजन नोट्स मध्य कालीन भारत भाग 2: दिल्ली सल्तनत - प्रारंभिक शासक और खिलजी वंश

 


भाग 2: दिल्ली सल्तनत - प्रारंभिक शासक और खिलजी वंश

शासक/वंश

अवधि/तथ्य

महत्वपूर्ण विवरण/उपलब्धियाँ

गुलाम/मामलुक वंश

1206–1290 (84 वर्ष)

दिल्ली सल्तनत की स्थापना तुर्क आक्रमणों का परिणाम थी।

कुतुबुद्दीन ऐबक

1206–1210

गुलाम वंश का संस्थापक। उसने सुल्तान की उपाधि ग्रहण नहीं की।

ऐबक की उपाधियाँ

कुरान खान, लाखबख्श

कुरान खान (कुरान की आयतों का सुरीला उच्चारण करने वाला) और लाखबख्श (लाखों का देने वाला) कहा जाता था।

निर्माण कार्य (ऐबक)

कुव्वत-उल-इस्लाम, अढ़ाई दिन का झोंपड़ा

दिल्ली में कुव्वत-उल-इस्लाम (भारत की पहली मस्जिद) तथा अजमेर में अढ़ाई दिन का झोंपड़ा का निर्माण कराया।

कुतुबमीनार

आरंभकर्ता

उसने ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुबमीनार का निर्माण कार्य आरंभ करवाया।

ऐबक की मृत्यु

1210 ईस्वी

चौगान (पोलो) खेलते समय लाहौर में मृत्यु हो गई।

इल्तुतमिश

1210–1236

दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। सुल्तान की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक।

वैधता

मंसूर (स्वीकृति पत्र)

उसने 1229 में अब्बासी खलीफा से मंसूर प्राप्त कर अपने राज्य को वैधता प्रदान की।

उपाधि

गुलामों का गुलाम

वह 26 वर्ष तक ऐबक का गुलाम था, इसलिए उसे गुलामों का गुलाम भी कहते हैं।

व्यवस्थाएँ

इक्ता व्यवस्था, तुर्क-ए-चहलगानी

इक्ता व्यवस्था लागू की। 40 तुर्क सरदारों का दल गठित किया, जिसे तुर्क-ए-चहलगानी या चालीसा कहते थे।

सिक्के

टका और जीतल

चांदी का टका और तांबे का जीतल नामक दो सिक्के जारी किए। भारत में सिक्के चलाने वाला प्रथम सुल्तान था।

रजिया सुल्तान

1236–1240

भारत की प्रथम महिला सुल्तान और इल्तुतमिश की पुत्री। पुरुषों की तरह चोगा (काबा) और टोपी (कुलाह) पहनकर दरबार में जाती थी।

हब्शी सलाहकार

जमाल-उद-दीन-याकूत

उसे अश्वशाला प्रमुख नियुक्त किया गया था।

रजिया की मृत्यु

1240 ईस्वी

तुर्क सरदारों ने कैथल (हरियाणा) में रजिया और अल्तूनिया को मरवा डाला।

नासिरुद्दीन महमूद

1246–1265

एक धार्मिक व्यक्ति, जिसे दरवेशी सुल्तान कहा जाता था। कुराण की प्रतिलिपियाँ तैयार करता था।

गयासुद्दीन बलबन

1265–1287

सुल्तान बनने के बाद तुर्क-ए-चहलगानी की शक्ति नष्ट कर दी। रक्त और लौह की नीति अपनाई।

उपाधि/प्रथाएँ

जिल्ले-इलाही, सिजदा, पाबोस, नौरोज

स्वयं को जिल्ले-इलाही (अल्लाह की छाया) घोषित किया। ईरानी प्रथाओं सिजदा (झुककर अभिवादन करना) और पाबोस (पैर चूमना) को आरंभ किया।

सैन्य विभाग

दीवान-ए-अर्ज

इस विभाग की स्थापना की, इसके प्रमुख को आरिज-ए-मुमालिक कहते थे।

खिलजी क्रांति

1290

खिलजी वंश की स्थापना इल्बरी वंश के एकाधिकार का अंत थी, जिसे खिलजी क्रांति के नाम से जाना जाता है।

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी

1290–1296

70 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा। प्रथम सुल्तान जिसने कहा कि शासन का आधार शासितों की इच्छा होनी चाहिए। किलखोरी को राजधानी बनाया।

अलाउद्दीन खिलजी

1296–1316

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भतीजा, छल से उसकी हत्या कर दी। 1296 ईस्वी में राज्याभिषेक हुआ।

उपाधि

सिकंदर-ए-सानी

विश्व विजय करना चाहता था, इसलिए उसने अपने सिक्के पर सिकंदर-ए-सानी खुदवाया।

मलिक काफूर

हजार दिनारी

गुजरात अभियान (1297) के दौरान नुसरत खान ने मलिक काफूर को 1000 दीनार में खरीदा था, इसलिए काफूर को 'एक हजार दिनारी' कहा जाता है।

मेवाड़ आक्रमण कारण

रानी पद्मिनी

राजा रतन सिंह की रानी पद्मिनी के प्रति उसका आकर्षण तात्कालिक कारण था।

नाम परिवर्तन

खिज्राबाद

चित्तौड़ विजय के बाद, अलाउद्दीन ने चित्तौड़ का नाम बदलकर अपने पुत्र खिजर खान के नाम पर खिज्राबाद कर दिया।

दक्षिण अभियान

नेतृत्व/उपलब्धि

दक्कन विजय का नेतृत्व मलिक काफूर को सौंपा गया। मलिक काफूर ने वारंगल के राजा प्रतापरुद्र देव से विश्व विख्यात कोहिनूर हीरा प्राप्त किया था।

राजस्व सिद्धांत

शरीयत/उलेमा का हस्तक्षेप नहीं

वह पहला सुल्तान था जिसने घोषणा की कि शासन और राजस्व के मामलों में शरियत और उलेमा का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

राजस्व विभाग

दीवान-ए-मुस्तखराज

बकाया राशि वसूलने के लिए इस विभाग की स्थापना की।

नवीन कर

घरी, चरी

घरी (भू-संपत्ति कर) तथा चरी (चारागाह कर) नामक नए कर लगाए।

भू-राजस्व

दर/मापन

उसने कुल उत्पादन का 50% भू-राजस्व निर्धारित किया। भूमि की पैमाइश की व्यवस्था लागू की।

सैन्य सुधार

हुलिया और दाग

सैनिकों का हुलिया रखने और घोड़ा दागने की प्रथा लागू की।

बाजार सुधार

नियंत्रण प्रणाली

उसने बाजार नियंत्रण प्रणाली शुरू की, जिसकी विस्तृत जानकारी तारीख-ए-फिरोजशाही (बरनी) से मिलती है। उसने शहना-ए-मंडी (बाजार का अधीक्षक) नियुक्त किया।

अमीर खुसरो

उपाधि/योगदान

उन्हें तूत-ए-हिन्द (भारत का तोता) कहा जाता है। खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय। कव्वाली, सितार और तबला उनकी देन माने जाते हैं।

मुबारक खिलजी

उपाधि

उसने स्वयं को खलीफा घोषित किया और अलवसिक बिल्लाह की उपाधि ली।

 

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