भाग 7: मौर्योत्तर
काल
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वंश/शासक |
मुख्य विवरण और तथ्य |
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शुंग वंश |
अंतिम
मौर्य शासक बृहद्रथ के मंत्री पुष्यमित्र शुंग ने स्थापना की। पतंजलि (पाणिनी की अष्टाध्यायी पर
महाभाष्य के रचयिता) पुष्यमित्र शुंग द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ के पुरोहित थे।
सांची स्तूप में रेलिंग का
निर्माण करवाया गया। |
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हिंद-यवन |
मिनांडर (मिलिंद) सबसे प्रसिद्ध शासक था, जिसने नागसेन से बौद्ध धर्म
अपनाया। इन
दोनों के प्रश्नोत्तरों का संकलन मिलिंदपन्हो ग्रंथ में है। इन्होंने
भारत में पहली बार सोने के सिक्के जारी किए। इनके संपर्क से गांधार शैली (हेलेनिक मूर्तिकला) विकसित हुई। |
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शक |
शकों
को सीथियन भी कहते हैं। सबसे
शक्तिशाली शासक रुद्रदामन था, जिसने महाक्षत्रप की उपाधि धारण की। उसका जूनागढ़/गिरनार अभिलेख भारत में संस्कृत भाषा का पहला अभिलेख है। 57 ई.पू. में उज्जैन के शासक विक्रमादित्य ने शकों को हराकर विक्रम संवत शुरू किया। |
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कुषाण |
ये
यूची प्रजाति के थे। कनिष्क (78 ई.) सबसे प्रतापी सम्राट था।
उसके राज्यारोहण की तिथि को शक संवत माना गया है। उसके
समय में कश्मीर के कुंडलवन विहार में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। उसके
दरबारी विद्वान: अश्वघोष (बुद्धचरित के रचयिता), नागार्जुन (शून्य वाद के प्रवर्तक), और चरक (चरक संहिता के रचयिता) थे। उसके संरक्षण में गांधार शैली और मथुरा शैली का विकास हुआ। |
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सातवाहन |
इन्हें आंध्र शासक भी कहते हैं। संस्थापक सिमुक था। राजधानी प्रतिष्ठान (पैठन) थी। राजा हाल ने गाथा सप्तशती की रचना की। गौतमीपुत्र सातकर्णि ने शकों को हराकर सातवाहन सत्ता
को पुनः स्थापित किया। |

