Powered By Blogger

Wednesday, October 15, 2025

रिवीजन नोट्स प्राचीन भारत भाग 8: गुप्त साम्राज्य

 


भाग 8: गुप्त साम्राज्य

शासक/विवरण

मुख्य उपलब्धियाँ और तथ्य

श्री गुप्त

गुप्त वंश का संस्थापक (273 ई.पू.)।

चंद्रगुप्त प्रथम

(319–335 ई.)

गुप्त संवत (319–20 ई.) का प्रवर्तक।

उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की।

समुद्रगुप्त (335–375 ई.)

गुप्त साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक और विस्तारक। उसे 'भारत का नेपोलियन' कहा जाता था।

उपाधियाँ: पक्रमांक और कविराज।

वह वीणावादन में प्रवीण था।

उसके दरबारी कवि हरिषेण ने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की।

चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) (375–415 ई.)

उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।

चीनी यात्री फाह्यान उसके शासनकाल में भारत आया।

उसने उज्जयिनी को अपनी राजधानी बनाया।

नवरत्न

उसके दरबार में नवरत्न थे:

कालिदास (अभिज्ञानशाकुंतलम्, रघुवंश),

वराहमिहिर (खगोलशास्त्री, पंच सिद्धांत, बृहत्संहिता),

धन्वंतरि (आयुर्वेद/चिकित्सा) और

अमरसिंह (अमरकोश) प्रमुख थे।

कुमारगुप्त प्रथम (415–455 ई.)

उसने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।

उसके शासनकाल में हूणों का आक्रमण प्रारंभ हुआ।

प्रशासन/अर्थव्यवस्था

गुप्त काल को भारतीय सामंतवाद के उदय का काल माना जाता है।

भूमि कर (उत्पादन का 1/6) को उद्रंग या भागकर कहा गया है।