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Wednesday, October 15, 2025

रिवीजन नोट्स प्राचीन भारत भाग 6: मौर्य साम्राज्य

 


भाग 6: मौर्य साम्राज्य

शासक/अवधि

मुख्य विवरण और तथ्य

चंद्रगुप्त मौर्य (321–298 ई.पू.)

नंद वंश के धनानंद को मारकर चाणक्य की सहायता से मौर्य वंश की नींव डाली।

ग्रीक साहित्य में उसे सैंड्रोकोट्स कहा गया है।

उसने 305 ई.पू. में सेल्यूकस निकेटर को पराजित किया। सेल्यूकस ने मेगस्थनीज (जिसने इंडिका ग्रंथ लिखा) को राजदूत बनाकर भेजा।

अंतिम समय में उसने जैन संत भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) जाकर संलेखना (महान समाधि) विधि से प्राण त्याग दिए।

बिंदुसार

चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र।

यूनानी साहित्य में इसे अमित्रोघात या अमित्रोकेट्स ('शत्रुओं का नाश करने वाला') कहा गया है।

उसने आजीवक धर्म अपनाया।

अशोक (269–232 ई.पू.)

उसका राज्याभिषेक 4 वर्ष बाद (269 ई.पू.) हुआ।

उसके विभिन्न अभिलेखों में उसे देवनॉम पिय (गुर्जरा अभिलेख) और प्रियदर्शी राजा मगध (भाब्रू-बैराठ अभिलेख) कहा गया है, जबकि मास्की अभिलेख में उसे अशोक कहा गया है।

राज्याभिषेक के 8वें वर्ष (261 ई.पू.) में उसने कलिंग पर आक्रमण किया।

कलिंग युद्ध के बाद उसने युद्धघोष के स्थान पर धम्मघोष की नीति अपनाई।

मोग्गलिपुत्त तिस्स के प्रभाव से वह पूर्णतः बौद्ध हो गया।

उसने 250 ई.पू. में पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति आयोजित करवाई।

प्रशासन

मौर्य साम्राज्य की देन केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था है। अधिकारियों और नौकरशाहों को तीर्थ (कुल 18) कहा जाता था, जिनमें सन्निधाता (खजाना), नायक (नगर सिपाही), व्यवहरिक (मुख्य न्यायाधीश) आदि शामिल थे।

शासकीय भूमि को सीता कहा जाता था। उत्पादन का 1/6 भाग कर के रूप में वसूला जाता था।

सिंचाई कर को उदकभाग कहते थे।

प्रांतों को चक्र कहते थे, जिनके प्रमुख कुमार होते थे।