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Wednesday, October 15, 2025

रिवीजन नोट्स प्राचीन भारत भाग 1: वैदिक साहित्य

 


भाग 1: वैदिक साहित्य

काल/विषय

मुख्य विवरण और तथ्य

ऋग्वेद

यह समस्त वैदिक परंपरा का आधार है।

इसमें 10 भाग (मंडल) हैं, जिनमें 2 से 7 मंडल प्राचीन माने जाते हैं, जबकि 1, 8, 9, और 10 नवीन मंडल हैं।

इसमें प्राकृतिक शक्तियों (सूर्य, सोम, वरुण) के रहस्यों का उद्घाटन किया गया है। कुल 1028 सूक्तियाँ और 10462 मंत्र हैं।

10वें मंडल के पुरुष सूक्त में चातुर्वर्ण (वर्ण व्यवस्था) का वर्णन है।

गायत्री महामंत्र (सूर्य की पत्नी सावित्री को समर्पित) का उल्लेख तीसरे मंडल में है। इसे जानने वाले पुरोहित को होतृ/होता कहते थे।

लोपामुद्रा, घोषा, और अपाला जैसी महिलाओं ने भी इसके मंत्रों (ऋचाओं) की रचना की।

यजुर्वेद

यह मुख्य रूप से गद्यात्मक ग्रंथ है। इसमें यज्ञों से जुड़े कर्मकांडों और नियमों का वर्णन है, इसलिए यह कर्मकांड प्रधान है।

इसमें राजसूय तथा वाजपेय यज्ञों का वर्णन है।

इसे भारतीय ज्यामिति का जनक माना जाता है।

इसकी दो शाखाएँ हैं: दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद।

इसे जानने वाले पुरोहित को अध्वर्यु कहते हैं।

सामवेद

यह गीत-संगीत प्रधान है, जिसे भारतीय संगीत का जनक कहते हैं।

इसमें यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले गीतों का संकलन है। इसके मंत्रों को सामानि कहते हैं।

इसे जानने वाले पुरोहित को उद्गात्री कहते थे।

अथर्ववेद

इसे ब्रह्मवेद या महीवेद भी कहते हैं।

यह एक लौकिक ग्रंथ है। इसमें चिकित्सा, विज्ञान, दर्शन, वास्तुशास्त्र का ज्ञान है, और यह जादू टोना का संकलन भी है।

इसका सर्वाधिक उल्लेखनीय खंड आयुर्विज्ञान है।

इसे जानने वाले पुरोहित को ब्रह्मा कहते हैं।

ब्राह्मण ग्रंथ

ये वेदों को समझने के लिए गद्य में रचे गए सहायक ग्रंथ हैं।

इनका मुख्य विषय कर्मकांड है।

ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरेय और कौषीतकी हैं।

शुक्ल यजुर्वेद से संबंधित शतपथ ब्राह्मण और कृष्ण यजुर्वेद से संबंधित तैत्तिरीय ब्राह्मण हैं।

अथर्ववेद का ब्राह्मण ग्रंथ गोपथ है।

उपनिषद

उपनिषद का अर्थ है "भक्तिपूर्वक पास में बैठना" (शिक्षक के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करना)।

इनकी कुल संख्या 108 है।

इनमें बृहदारण्यक सबसे पुराने उपनिषदों में से एक है।

भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य "सत्यमेव जयते" हिंदू धर्म ग्रंथ मुंडकोपनिषद् के एक मंत्र का हिस्सा है।

वेदांग

इनकी कुल संख्या छह (6) है। ये वेदों को समझने में सहायक साहित्य हैं। प्रमुख वेदांग हैं:

शिक्षा (उच्चारण),

कल्प (कर्मकांडों के नियम),

व्याकरण (भाषा का नियम स्थिर करना, पाणिनी की अष्टाध्यायी प्रमुख ग्रंथ),

निरुक्त (शब्द उत्पत्ति शास्त्र/विश्वकोश),

छंद, और

ज्योतिष।

पुराण

इनकी कुल संख्या अठारह (18) है।

स्कंद पुराण सबसे बड़ा है, जिसमें लगभग 81,000 से अधिक श्लोक हैं।

कुछ ग्रंथों में मत्स्य पुराण को सबसे प्राचीन माना गया है।