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Saturday, October 4, 2025

रैम यानी रैंडम एक्सेस मेमोरी


 

प्राइमरी मेमोरी

vयह मेमोरी कम्प्यूटर की आंतरिक मेमोरी होती हैं जो डेटा या इन्फोर्मेशन को स्टोर करने के लिए उपयोग में लाई जाती है. प्राइमरी मेमोरी को मेन मेमोरी भी कहा जाता है.

vयह दो प्रकार की होती है’- रैम व रोम

इस पोस्ट में केवल रैम की बात करेंगे रोम की चर्चा अगले पोस्ट में की जाएगी.

रैम यानी रैंडम एक्सेस मेमोरी

vरैम एक बहुत ही फास्ट मेमोरी होती है, क्योंकि इसको सी पी यू के साथ काम करना होता है. सी पी यू अपनी सारी प्रोसेसिंग के लिए डाटा एण्ड इंस्टक्शन रैम से ही प्राप्त करता है.

vजब भी हम अपने कम्प्यूटर में किसी भी फाइल या प्रोग्राम को रन करते हैं, तो वह फाइल या प्रोग्राम सबसे पहले रैम में ही लोड एवं  स्टोर होती है, उसके बाद ही सी पी यू उस फाइल या प्रोग्राम को एक्सेस कर पाता है.



vरैम को वोलेटाइल मेमोरी क्यों कहते है?

vरैम का काम केवल प्रोसेसर को डाटा देना ही नहीं होता है बल्कि रैम प्रोसेसर की प्रोसेसिंग के अनुसार फाइल को ओपन या प्रोग्राम को एक्जीक्यूट भी करता है. जब तक कोई फाइल या प्रोग्राम ओपन रहता है तब तक रैम काम करता है और जैसे ही उस फाइल या प्रोग्राम को हम क्लोज कर देते है या कम्प्यूटर बन्द हो जाय तो रैम में से वो फाइल या प्रोग्राम डिलीट हो जाता है, इसीलिए इसे वोलेटाइल मेंमोरी भी कहते हैं.

vरैम उस रीड़िंग टेबल की तरह है जिस पर हम अपने पढ़ने के लिए बुक्स को या कुछ लिखने के लिए नोटबुक को रखते हैं.

vजब कोई फाइल या विडियो ज्यादा देर तक प्ले होता है तो इसके लगातार काम करने लेकिन इसकी स्टोरेज कैपिसिटी कम फोन गर्म हो जाता है.

vयह फ्लिप फ्लॉप मेमोरी डिवाईस होती है.

रैम के प्रकार

vरैम दो प्रकार का होता है-

vएस रैम  (स्टैटिक रैंडम एक्सस मेमोरी)  व डी रैम (डायनमिक रैंडम एक्सस मेमोरी)  

vएस रैम व डी रैम में अंतर  

एस रैम

 डी रैम  

फ्लिप फ्लॉप यानि ट्रांजिस्टर से बनती है इसलिए स्टैटिक होती है.

रैम कैपीसिटर से बनती है, इसलिए वह स्टैटिक नहीं, बल्कि डायनमिक होती है.

बार बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता नही होती है,

कैपीसिटर और ट्रांजिस्टर के संयोजन से बनी डायनमिक मेमोरी को बार बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है. यह एक सेकेण्ड में हजारों बार रिफ्रेश होती है.

इसका उपयोग कैश मेमोरी बनाने ने किया जाता है.

यह मेन मेमोरी का हिस्सा होती है.

फ़ास्ट एवं मंहगी होती है

स्लो और सस्ती होती है. 

इसका काम फ़ास्ट प्रोसेसिंग के लिए सी पी यू को डेटा प्रदान करना होता है.

इसका कार्य प्रोसेसिंग के लिए जरुरी डेटा, इंस्ट्रक्शन और फाइल को तब तक अपने पास रखना है जब तक प्रोसेसिंग चल रहा है.

vडेटा ट्रांसफर का सिक्वेंस

vप्रोसेसिंग के लिए आवश्यक पूरा डेटा सबसे पहले डी रैम में आता है, वह इसे एस रैम में भेजता है. एस रैम से डेटा टुकड़ों टुकड़ों में कैश मेमोरी के क्रमशः L1, L2 तथा L3 से होते हुए रजिस्टर में जाती है.

रैम का साइज़

vRAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) का साइज़ गीगाबाइट्स (GB) में मापा जाता है.

vसामान्य RAM साइज़ 4GB, 8GB, 16GB, 32GB, और 64GB होते हैं.

v8GB - सामान्य उपयोग के लिए,

v16GB ऑफिस के काम और स्प्रेडशीट के लिए,

vऔर 32GB या उससे अधिक गेमिंग और वीडियो एडिटिंग जैसे अधिक गहन कार्यों के लिए अनुशंसित है.

फ्लिप फ्लॉप स्टोरेज डिवाइस

vफ्लिप-फ्लॉप का मूल काम एक समय में केवल एक बिट (0 या 1) को स्टोर करना है.  फ्लिप-फ्लॉप स्टोरेज डिवाइस बनाने के लिए ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है; एक सरल फ्लिप-फ्लॉप यानी एसआर (सेट-रीसेट) फ्लिप-फ्लॉप में दो ट्रांजिस्टर हो सकते हैं, जब एक ट्रांजिस्टर चालू (on) होता है, तो दूसरा बंद (off) हो जाता है, जिससे डेटा संग्रहीत होता है.

vजबकि अधिक जटिल प्रकारों में अधिक ट्रांजिस्टर की आवश्यकता होती है.  डी फ्लिप-फ्लॉप में लगभग 6 ट्रांजिस्टर होते हैं. इसे "डेटा" या "डिले" फ्लिप-फ्लॉप भी कहा जाता है क्योंकि यह इनपुट डेटा को कुछ समय के लिए विलंबित करता है. आधुनिक एकीकृत सर्किट (IC) में, फ्लिप-फ्लॉप बनाने के लिए ट्रांजिस्टर की संख्या बढ़ जाती है.  उदाहरण के लिए, कुछ उन्नत फ्लिप-फ्लॉप में 25 से 26 ट्रांजिस्टर हो सकते हैं.

vकंप्यूटर की रैम, कैश, रजिस्टर और अन्य मेमोरी इकाइयों के निर्माण में उपयोग होता है.  

vडी रैम में ट्रांजिस्टर और कैपीसिटर की क्या भूमिका होती है ?

vडी रैम में, ट्रांजिस्टर एक इलेक्ट्रॉनिक स्विच की तरह काम करता है जो मेमोरी सेल को चालू (on) या बंद (off) करता है.  यह कैपेसिटर को नियंत्रित करता है और उसे रीड और राइट की अनुमति देता है.

vकैपेसिटर चार्ज (1) या डिस्चार्ज (0) होकर बिट को रखता है, जबकि ट्रांजिस्टर एक स्विच के रूप में काम करके कैपेसिटर को पढ़ता और रिफ्रेश करता है.  एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर मिलकर एक मेमोरी सेल बनाते हैं, जो एक बिट डेटा (1 या 0) को संग्रहीत करता है.  

vकैपेसिटर विद्युत आवेश को धारण करता है.  एक चार्ज किया हुआ कैपेसिटर '1' बिट का प्रतिनिधित्व करता है और एक डिस्चार्ज किया हुआ कैपेसिटर '0' बिट का प्रतिनिधित्व करता है.

vकैपेसिटर से आवेश धीरे-धीरे लीक होता रहता है, इसलिए डी रैम में इसे लगातार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है ताकि डेटा बना रहे.  यह ट्रांजिस्टर के साथ मिलकर एक स्थायी मेमोरी सेल बनाने के लिए डेटा की भौतिक स्थिति को बनाए रखता है.

यह पोस्ट Rudra’s IAS द्वारा तैयार की गई है।
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