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Friday, September 19, 2025

वित्तीय स्थिति और राजकोषीय प्रदर्शन (Financial Status and Fiscal Deficit)

🟥 राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)




📌 परिभाषा
➡️ जब सरकार का कुल खर्च उसकी कुल आय (कर व गैर-कर राजस्व, ब्याज रहित) से अधिक होता है।

📌 सूत्र
📝 राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल आय

📌 उदाहरण

  • कुल खर्च = ₹1,00,000 करोड़

  • कुल आय = ₹80,000 करोड़
    👉 राजकोषीय घाटा = ₹20,000 करोड़

📊 वर्तमान स्थिति (2024-25)

  • भारत का राजकोषीय घाटा = 4.1% (जीएसडीपी का)

  • राज्यों को सीमा = 3.5% (सुधारों पर +0.5% की छूट)

  • संशोधित अनुमान 2023-24 = 3.6% (बजट अनुमान 4% से कम)

  • लक्ष्य 2026-27 तक = 3%


🟩 राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus)

📌 परिभाषा
➡️ जब सरकार की कुल राजस्व आय > कुल राजस्व व्यय

📌 सूत्र
📝 राजस्व अधिशेष = कुल राजस्व आय - कुल राजस्व व्यय

📌 राजस्व आय
✔️ कर राजस्व: आयकर, जीएसटी, उत्पाद शुल्क
✔️ गैर-कर राजस्व: ब्याज, लाभांश

📌 राजस्व व्यय
✔️ वेतन, पेंशन, सब्सिडी
✔️ प्रशासनिक खर्च (स्थायी संपत्ति निर्माण नहीं)

📌 उदाहरण

  • राजस्व आय = ₹50,000 करोड़

  • राजस्व व्यय = ₹45,000 करोड़
    👉 राजस्व अधिशेष = ₹5,000 करोड


🟦 प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)

📌 परिभाषा
➡️ सरकार का वह घाटा जिसमें ब्याज भुगतान को छोड़कर बाकी खर्चों के लिए उधार लिया जाता है।

📌 सूत्र
📝 प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान

📌 उदाहरण

  • राजकोषीय घाटा = ₹60,000 करोड़

  • ब्याज भुगतान = ₹20,000 करोड़
    👉 प्राथमिक घाटा = ₹40,000 करोड़

📊 महत्व
✔️ बताता है कि ब्याज चुकाने के बाद भी कितना अतिरिक्त उधार लेना पड़ा।
✔️ सरकार की वास्तविक उधारी स्थिति को दर्शाता है।


🟨 निष्कर्ष

  • राजकोषीय घाटा = कुल उधारी का पैमाना

  • राजस्व अधिशेष = सकारात्मक वित्तीय स्थिति का संकेत

  • प्राथमिक घाटा = वर्तमान उधारी का असली बोझ

👉 ये तीनों मिलकर सरकार की वित्तीय सेहत की पूरी तस्वीर पेश करते हैं।


⚡ और आसान शब्दों में:

  • घाटा ज़्यादा = उधारी ज़्यादा

  • अधिशेष = आय मजबूत

  • प्राथमिक घाटा = सरकार के खर्चों का असली दबाव