🟥 राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)
📌 परिभाषा
➡️ जब सरकार का कुल खर्च उसकी कुल आय (कर व गैर-कर राजस्व, ब्याज रहित) से अधिक होता है।
📌 सूत्र
📝 राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल आय
📌 उदाहरण
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कुल खर्च = ₹1,00,000 करोड़
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कुल आय = ₹80,000 करोड़
👉 राजकोषीय घाटा = ₹20,000 करोड़
📊 वर्तमान स्थिति (2024-25)
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भारत का राजकोषीय घाटा = 4.1% (जीएसडीपी का)
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राज्यों को सीमा = 3.5% (सुधारों पर +0.5% की छूट)
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संशोधित अनुमान 2023-24 = 3.6% (बजट अनुमान 4% से कम)
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लक्ष्य 2026-27 तक = 3%
🟩 राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus)
📌 परिभाषा
➡️ जब सरकार की कुल राजस्व आय > कुल राजस्व व्यय
📌 सूत्र
📝 राजस्व अधिशेष = कुल राजस्व आय - कुल राजस्व व्यय
📌 राजस्व आय
✔️ कर राजस्व: आयकर, जीएसटी, उत्पाद शुल्क
✔️ गैर-कर राजस्व: ब्याज, लाभांश
📌 राजस्व व्यय
✔️ वेतन, पेंशन, सब्सिडी
✔️ प्रशासनिक खर्च (स्थायी संपत्ति निर्माण नहीं)
📌 उदाहरण
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राजस्व आय = ₹50,000 करोड़
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राजस्व व्यय = ₹45,000 करोड़
👉 राजस्व अधिशेष = ₹5,000 करोड
🟦 प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)
📌 परिभाषा
➡️ सरकार का वह घाटा जिसमें ब्याज भुगतान को छोड़कर बाकी खर्चों के लिए उधार लिया जाता है।
📌 सूत्र
📝 प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान
📌 उदाहरण
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राजकोषीय घाटा = ₹60,000 करोड़
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ब्याज भुगतान = ₹20,000 करोड़
👉 प्राथमिक घाटा = ₹40,000 करोड़
📊 महत्व
✔️ बताता है कि ब्याज चुकाने के बाद भी कितना अतिरिक्त उधार लेना पड़ा।
✔️ सरकार की वास्तविक उधारी स्थिति को दर्शाता है।
🟨 निष्कर्ष
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राजकोषीय घाटा = कुल उधारी का पैमाना
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राजस्व अधिशेष = सकारात्मक वित्तीय स्थिति का संकेत
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प्राथमिक घाटा = वर्तमान उधारी का असली बोझ
👉 ये तीनों मिलकर सरकार की वित्तीय सेहत की पूरी तस्वीर पेश करते हैं।
⚡ और आसान शब्दों में:
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घाटा ज़्यादा = उधारी ज़्यादा
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अधिशेष = आय मजबूत
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प्राथमिक घाटा = सरकार के खर्चों का असली दबाव

