संविधान सभा की प्रथम बैठक
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 ई० को नई दिल्ली स्थित काउंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में आयोजित की गई।
सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को इस बैठक अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
मुस्लिम लीग ने सभा का बहिष्कार करते हुए पाकिस्तान लिए पृथक संविधान सभा की मांग पर अड़ी रही।
हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए।
इस बैठक में 211 सदस्य शामिल हुए। आरम्भ में देशी रियासतों के प्रतिनिधियों ने संविधान सभा में भागीदारी से मना कर दिया, लेकिन धीरे-धीरे रियासतें संविधान सभा में शामिल होने लगी।
संविधान सभा की कार्यवाही
11 दिसंबर, 1946 ई. को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इनके साथ साथ एच सी मुखर्जी ;हरेन्द्र कुमर मुखर्जीद्ध तथा वी टी कृृष्णामचारी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
16 जुलाई 1948 को वी टी कृृष्णामचारी को संविधान सभा का दूसरा उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसंबर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किए गए उद्देश्य प्रस्ताव के साथ प्रारम्भ हुईं।
आजादी के बाद संविधान सभा की दोहरी भूमिका
देश-विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया। अब संविधान सभा दोहरी भूमिका में आ गई्र, संविधान निर्मात्री सभा के साथ-साथ इसे भारत के संसद की भूमिका भी निभानी पडी।
जब संविधान सभा संविधान निर्माण का कार्य करती थी तो डॉ राजेंद्र प्रसाद सभा की अध्यक्षता करते थे, किन्तु जब संविधान सभा संसद का कार्य करती थी तो सभा की अध्यक्षता गणेश वासुदेव मावलंकर द्वारा की जाती थी।
बी एन राव
सभी समितियों से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर संविधान सभा के विधि सलाहकार बेनेगल नरसिम्हा राव या बी एन राव ने भारतीय संविधान का मूल प्रारूप तैयार किया। संविधान के मूल प्रारूप में कुल 243 अनुच्छेद तथा 13 अनूसूचियां थी।
इस कार्य में उत्कृष्टता लाने हेतू आपने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन आदि देशों की यात्रा की और कई देशों के संविधानों का अध्ययन किया। आप भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश थे।
वी टी कृष्णमाचारी
वी टी कृष्णमाचारी (सर वंगल थिरुवेंकटचारी कृष्णमाचारी) सिविल सेवक और प्रशासक थे। उन्होंने 1927 से 1944 तक बड़ौदा के दीवान, 1946 से 1949 तक जयपुर राज्य के प्रधान मंत्री और 1961 से 1964 तक राज्य सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। जयपुर के भारतीय संघ में शामिल होने के बाद, कृष्णमाचारी 28 अप्रैल को 1948 जयपुर के प्रतिनिधि के रूप में संविधान सभा में शामिल हुए।
जुलाई 1947 में, भारत के विभाजन के निर्णय के बाद, संविधान सभा ने अपने नियमों को संशोधित करके दो उपाध्यक्ष बनाने और उनमें से एक रियासतों से होने का प्राविधान किया।
जब 16 जुलाई 1948 को विधानसभा ने इन उपाध्यक्षों का चुनाव किया, तो केवल दो नामांकन थे, इसलिए कृष्णमाचारी (जयपुर) को डॉ. हरेंद्र कुमार मुखर्जी (पश्चिम बंगाल) के साथ निर्विरोध चुना गया।
टी टी कृष्णमाचारी
टी टी कृष्णमाचारी (तिरुवेलोर थट्टई कृष्णमाचारी) प्रारूप समिति के सदस्य थे। उन्हें 1956 से 1958 तक और 1964 से 1966 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में भी कार्य किया गया था। कृष्णमाचारी को हरिदास मुंद्रा कांड में शामिल होने के कारण 18 फरवरी 1958 को वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
प्रारूप समिति
प्रारूप समिति संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियों में से एक थी। प्रारूप समिति ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया। संविधान सभा के लगभग सभी सदस्यों ने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन संविधान के निर्माण में अग्रणी भूमिका प्रारूप समिति द्वारा अदा की गई। संविधान निर्माण में प्रारूप समिति की वही भूमिका थी जो एक भव्य इमारत के निर्माण में एक कुशल इंजीनियर की होती है। संविधान सभा द्वारा प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को किया गया। महान विद्वान और समाज सुधारक डॉ. भीमराव राम जी अम्बेडकर को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
डा. भीमराव अंबेडकर की सहायता के लिए प्रारूप समिति में 6 अन्य सदस्यों एन. गोपालास्वामी अय्यंगर, कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी, (के एम मुंशी), अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर (एम के अय्यर), बी एल मितर, मो. सादुल्ला एवं डी पी खेतान की नियुक्ति की गई।
बी एल मितर का स्वास्थ खराब जाने के कारण उनकी जगह माधव राव को प्रारूप समिति में शामिल किया गया। डी पी खेतान की मृत्यू के बाद 1948 में टी टी कृष्णामाचारी को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया।
संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार सर बेनेगल नरसिंह राव थे (बी. एन. राव)। जिन्हें 1950 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहला भारतीय जज नियुक्त किया गया। 4 नवंबर 1947 को प्रारूप समिति द्वारा भारतीय संविधान का एक प्रारूप तैयार किया गया। इस पर बहस कराई गई।
संविधान सभा की विभिन्न समितियां
22 जनवरी, 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद सुचारू रूप से कार्य करने के लिये संविधान सभा ने इसके कार्यों को विभिन्न समितियों में विभाजित कर दिया।
संविधान निर्माण का कार्य पूर्ण
इस प्रकार 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान अधिनियमित कर लिया। इस दिन संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान को अपने हस्ताक्षर के द्वारा अंगीकृत किया। 26 नवंबर 1949 की संविधान सभा की इस ऐतिहासिक में 285 सदस्य मौजूद थे। निजी कारणों या सेहत आदि की वजह से 14 सदस्य बैठक में शामिल नहीं हो सके। इन उपस्थित सदस्यों में से भी एक सदस्य जिनका नाम हसरत मोहानी था ने अंगीकरण प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया।
संविधान के कुछ अनुच्छेद 26 नवम्बर से लागू
संविधान के अनुच्छेेद 5, 6, 7, 8, 9, (नागरिकता से संबन्धित) 60 (राष्ट्रपति की शपथ) 324 (निर्वाचन आयोग) 366 (परिभाषायें), 367 (विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों से सम्बन्धित प्राविधान), 372 (यह अनुच्छेद भारतीय संविधान के लागू होने से पूर्व बनाए गए किसी कानून की न्यायिक समीक्षा से संबंधित प्रावधान करता है), 380 (निरसित), 388 (निरसित), 391 (निरसित), 392 (कठिनाइयों को दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति) तथा 393 (भारतीय संविधान का संक्षिप्त नाम ‘भारत का संविधान‘) 26 नवम्बर 1949 से ही लागू हो गये।
हसरत मोहानी
1 जनवरी 1875 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव में पैदा हुए मौलाना हसरत मोहानी. देश के एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा उर्दू के लोकप्रिय शायर थे। 1904 में आपने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
आपने क्रातिकारियो में लोकप्रिय इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया। मोहानी को संविधान के कई प्रावधानों पर आपत्ति थी।
उनका कहना था कि इस संविधान से देश में सच्चा लोकतंत्र नहीं आ पाएगा। संविधान सभा में जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 का विरोध करने वालों में मौलाना हसरत मोहानी भी थे।
मौलाना हसरत मोहानी बाल गंगाधर तिलक के नजदीकी थे। वह श्रीकृष्ण के भक्त भी थे. उन्होंने भगवान कृष्ण पर कई शायरी की है।
संविधान निर्माण में लगा समय
संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 9 दिसम्बर 1946 से 26 नवम्बर 1949 तक कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे। इस बीच सभा के कुल 11 सत्र 165 दिन बुलाये गये, जिसमें से 114 दिन केवल प्रारूप पर चर्चा की गई।
संविधान सभा का अंतिम सत्र -24 जनवरी 1950
संविधान सभा का एक दिवसीय 12 वां और अंतिम सत्र तथा अंतिम बैैठक 24 जनवरी 1950 को आयोजित किया गया। इस दिन मूल प्रति पर हस्ताक्षर करने वाले सभी 284 सदस्य संविधान सभा में उपस्थित थे।
इसी दिन संविधान सभा द्वारा रवींद्रनाथ टैगोर की मूल रूप से बांग्ला में रचित जन-गण-मन गीत के हिंदी संस्करण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
संविधान के सत्र
संविधान का निर्माण 11 सत्रों तथा 165 बैठकों में यानी 26 नवंबर 1949 तक पूर्ण हो गया।



