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Wednesday, September 24, 2025

भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन | India Semiconductor Mission 2025



प्रस्तावना

भारत तेजी से डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है और इसका सबसे मजबूत आधार है सेमीकंडक्टर चिप्स। स्मार्टफोन से लेकर सुपरकंप्यूटर, रक्षा प्रणाली से लेकर अंतरिक्ष कार्यक्रम – हर जगह इन नन्हीं लेकिन ताक़तवर चिप्स का महत्व है।


✦ सेमीकंडक्टर का परिचय और महत्व

  • सेमीकंडक्टर क्या हैं?
    सेमीकंडक्टर ऐसे पदार्थ हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों और कुचालकों के बीच होती है।

  • मुख्य उपयोग:
    स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक वाहन, उपग्रह और रक्षा उपकरण।

  • रणनीतिक महत्व:
    डिजिटलीकरण, AI और ऑटोमेशन की रीढ़।

  • बाज़ार:
    भारतीय चिप बाजार 2030 तक $100–110 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान।


✦ वैश्विक परिदृश्य और भारत की भूमिका

  • वर्तमान स्थिति:

    • ताइवान: दुनिया के 60% सेमीकंडक्टर का उत्पादन।

    • 90% उन्नत चिप्स ताइवान में निर्मित।

  • भारत का अवसर:

    • सुरक्षित व विविध सप्लाई चेन का विश्वसनीय साझेदार।

    • “मेक इन इंडिया” के तहत ESDM को बढ़ावा।


✦ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)

  • घोषणा: दिसंबर 2021

  • बजट: ₹76,000 करोड़

  • लक्ष्य:

    • चिप मैन्युफैक्चरिंग फैब्स

    • पैकेजिंग व टेस्टिंग इकाइयाँ

    • डिज़ाइन स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन

    • कौशल विकास व वैश्विक निवेश आकर्षण

मुख्य उपलब्धि:
2023-25 के बीच 6 प्रमुख सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी


✦ प्रमुख प्रगति और निवेश

कंपनीस्थाननिवेश (₹)क्षमता
माइक्रोन टेक्नोलॉजीसाणंद, गुजरात₹22,516 CrATMP सुविधा
टाटा–PSMCधोलेरा, गुजरात₹91,000 Cr50,000 वेफर/माह
सीजी पावर–रेनेसाससाणंद, गुजरात₹7,600 Cr1.5 Cr चिप/दिन
TSAT (टाटा)मोरीगांव, असम₹27,000 Cr4.8 Cr चिप/दिन
केन्स सेमीकॉनसाणंद, गुजरात₹3,307 Cr6.33 Cr चिप/दिन
HCL–फॉक्सकॉनजेवर, यूपी₹3,700 Cr20,000 वेफर/माह

✦ सेमीकॉन इंडिया 2025

  • 35,000 पंजीकरण, 30,000+ फुटफॉल, 350 प्रदर्शक, 48 देशों की भागीदारी।

  • जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय मंडप

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विज़न – “हर डिवाइस में इंडियन चिप्स।”

  • आगामी आयोजन: 2–4 सितंबर 2025, यशोभूमि (IICC), नई दिल्ली।


✦ चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति

  • उच्च निवेश: एक फैब = $10–15 बिलियन लागत।

  • तकनीकी निर्भरता: IP और पेटेंट बड़ी कंपनियों के पास।

  • सुरक्षा: स्वदेशी चिप डिज़ाइन व उत्पादन आवश्यक।

  • दीर्घकालिक लक्ष्य:

    • घरेलू उपयोग + निर्यात।

    • भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाना।


✦ निष्कर्ष

भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति आत्मनिर्भरता, तकनीकी नेतृत्व और वैश्विक साझेदारी की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। आने वाले वर्षों में भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करेगा बल्कि दुनिया को भी Made in India Chips उपलब्ध कराएगा।


✦ धन्यवाद

यह ब्लॉग प्रस्तुत किया गया है Rudra’s IAS, Bhopal की ओर से।

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