नेहरू रिपोर्ट
- संविधान निर्माण की लगातार बढ़ती मांग और साइमन कमीशन के विरोध के बीच 1927 में भारत सचिव लार्ड बर्केनहेड ने भारतीयों को चुनौती दे दी कि अगर उनमें काबिलियत है तो वे एक ऐसे संविधान का मसौदा तैयार करे जो सभी भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा मान्य हो।
- इसके प्रत्युत्तर में 1928 में एक सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया गया। जिसमें संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति गठित हुई। इस समिति में ऑल इंडिया लिबरल फेडरेशन, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, सिख सेंट्रल लीग जैसे राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे। इस समिति को नेहरू समिति कहा जाता है।
- 22 अध्याय वाले इस रिपोर्ट में भारत को एक डोमेनियन राज्य बनाने के साथ-साथ मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित व्यापक प्राविधान किये गये। इनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कानून के समक्ष समानता, हथियार रखने का अधिकार, व्यवसाय की स्वतंत्रता एवं धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी का प्राविधान शामिल था। इसमें सबसे उल्लेखनीय प्रावधान निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार था।
- रिपोर्ट ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ संसदीय शासन प्रणाली लागू करने का बात की गई थी। रिपोर्ट में विधानमंडलों में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल के बजाय, केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण का प्रस्ताव किया गया था, जिनमें वे अल्पसंख्यक थे।
- हालाँकि, रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक सहमति नहीं बन पाई। मुस्लिम लीग, जो सर्वदलीय सम्मेलन का हिस्सा भी थी, ने इस समिति की सिफारिशों को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि इसमें मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल को नकार दिया गया था। मुस्लिम लीग का कहना था कि पृथक निर्वाचन मंडल प्राविधान हटाना कांग्रेस और लीग के बीच 1916 में हुए लखनऊ पैक्ट का उल्लंघन था।

