भाग 2: प्राच्यवादी विद्वान (Orientalists) और उनके योगदान
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विद्वान (Scholar) |
राष्ट्रीयता |
महत्वपूर्ण योगदान/कृतियाँ |
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विलियम जोन्स |
ब्रिटिश प्राच्यवादी |
1784 में एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना की। यूरोपीय और
इंडो-आर्यन भाषाओं के बीच तार्किक संबंध स्थापित किया। |
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चार्ल्स विल्किंस |
अंग्रेज प्राच्यविद् |
श्री मद भागवत गीता का अंग्रेजी
में अनुवाद किया। द एशियाटिक सोसाइटी के संस्थापक सदस्य थे। |
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जेम्स मिल |
स्कॉटिश इतिहासकार |
उनकी प्रसिद्ध कृति 'द हिस्ट्री ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया' भारतीय संस्कृति और समाज की
आलोचनात्मक विवेचना है। |
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एच. एच. विल्सन |
अंग्रेज प्राच्यविद् |
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में
संस्कृत के पहले प्रोफेसर नियुक्त हुए। |
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जेम्स प्रिंसेप |
अंग्रेज विद्वान |
प्राचीन भारत की खरोष्ठी और ब्राह्मी लिपियों को समझने के लिए जाने जाते हैं। |
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मैक्स मूलर |
जर्मन भाषाशास्त्री |
वेदों और उपनिषदों सहित प्राचीन
भारतीय ग्रंथों का अध्ययन किया। इंडोलॉजी अनुशासन की स्थापना में मदद की। |
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जोनाथन डंकन |
अंग्रेज |
1791 में बनारस संस्कृत कॉलेज की स्थापना की। |

