भाग 3: सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन
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आंदोलन/संगठन |
संस्थापक/नेतृत्व |
वर्ष |
प्रकृति |
प्रमुख कार्य और सिद्धांत |
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ब्रह्म समाज (सुधारवादी) |
राजा राममोहन राय |
1828 |
एकेश्वरवाद को बढ़ावा दिया।
मूर्ति पूजा, सती, बहुविवाह, बाल विवाह जैसी सामाजिक
कुप्रथाओं की निंदा की। 1829 में सती प्रथा समाप्त। |
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राजा राममोहन राय |
उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। उन्होंने 1814 में आत्मीय सभा और 1825 में वेदांत कॉलेज की स्थापना की। उनकी पत्रिकाएँ: तुहफ़त-उल-मुवाहिद्दीन (1803), मिरात-उल-अख़बार (फ़ारसी साप्ताहिक), संवाद कौमुदी (बंगाली साप्ताहिक, 1821)। |
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तत्वबोधिनी सभा |
देवेन्द्रनाथ टैगोर |
1839 |
तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ
भारतीय अतीत के व्यवस्थित अध्ययन को बढ़ावा दिया और राममोहन के विचारों का
प्रचार-प्रसार किया। |
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ईश्वर चंद्र विद्यासागर (सुधारवादी) |
हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 पारित कराने में व्यक्तिगत रुचि
ली। 1891 में एज ऑफ कंसेंट एक्ट (विवाह की न्यूनतम आयु 12 वर्ष) में योगदान दिया। सोमप्रकाश साप्ताहिक समाचार पत्र शुरू
करने की योजना दी। |
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आर्य समाज (पुनरुत्थानवादी) |
स्वामी दयानंद सरस्वती |
1875 (बंबई) |
"वेदों की ओर लौटो" का नारा दिया। मूर्ति पूजा, बहुदेववाद और जातिगत कठोरताओं
का विरोध किया। शुद्धि आंदोलन चलाया। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक लिखी। |
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अलीगढ़ आंदोलन (सुधारवादी) |
सैय्यद अहमद खान |
1875 |
पश्चिमी शिक्षा का प्रसार। मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की (बाद में एएमयू
बना)। पर्दा प्रथा और बहुविवाह का
विरोध किया। |
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थियोसोफिकल सोसाइटी |
हेलेना ब्लावात्स्की, हेनरी स्टील ओल्कॉट |
1875 (यूएसए) |
सार्वभौमिक भाईचारा और प्राचीन
धर्मों का प्रचार। 1879 में भारत में स्थापित हुई; एनी बेसेंट के तहत चरम पर थी। बनारस में सेंट्रल हिंदू स्कूल (बाद में बीएचयू) बेसेंट की बड़ी
उपलब्धि थी। |
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सत्यशोधक समाज (सुधारवादी) |
ज्योतिबा फुले |
1873 |
निचली जाति के लोगों को सशक्त
बनाना। उन्होंने 'दलित' शब्द को उन सभी लोगों पर लागू
करने के लिए गढ़ा जिन्हें ब्राह्मण अछूत मानते थे। |
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प्रार्थना समाज (सुधारवादी) |
आत्माराम पांडुरंग, एम. जी. रानाडे |
1867 |
हिंदू धार्मिक सिद्धांत को
संशोधित किया। मूर्ति पूजा और जाति रूढ़िवाद का विरोध। विधवा पुनर्विवाह संघ का गठन 1861 में किया। |
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