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Friday, October 17, 2025

रिवीजन नोट्स आधुनिक भारत का इतिहास भाग 4: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उदारवादी युग

 


भाग 4: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उदारवादी युग

विवरण

तथ्य/आँकड़े

कांग्रेस की स्थापना

28 दिसंबर 1885

स्थान: मुंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विश्वविद्यालय।

प्रथम अध्यक्ष

व्योमेश चंद्र बनर्जी

संस्थापक/महासचिव

एलन ऑक्टोवियन ह्यूम (सेवानिवृत्त आई.सी.एस. अधिकारी)।

गवर्नर जनरल

लॉर्ड डफरिन। लॉर्ड डफरिन स्वयं कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन (कलकत्ता) में शामिल हुए थे।

पहले सत्र में सदस्य

72 सदस्य उपस्थित थे।

सेफ्टी वाल्व का सिद्धांत

यह एक मिथक था कि 1857 जैसी स्थिति फिर उत्पन्न न हो, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने आम लोगों को विचार व्यक्त करने के लिए एक मंच (कांग्रेस) तैयार किया।

उदारवादी युग (1885-1905)

यह कांग्रेस का 'शैशव चरण' था।

इसमें अनुनय-विनय की नीति अपनाई गई। स्वतंत्रता उनके एजेंडे में शामिल नहीं थी, बल्कि संवैधानिक और प्रशासनिक सुधारों तक सीमित थे।

दादाभाई नौरोजी

उपनाम: 'भारत का ग्रैंड ओल्ड मैन'

1867 में लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की।

1892 में लिबरल पार्टी से हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य चुने जाने वाले पहले ब्रिटिश भारतीय सांसद।

1906 के कलकत्ता अधिवेशन में स्वराज्य का प्रस्ताव पारित करवाया।

ड्रेन ऑफ वेल्थ (धन निष्कासन)

1901 में उनकी पुस्तक 'पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' में राष्ट्रीय आय का आकलन (औसत वार्षिक आय 20 रुपये) और धन निष्कासन की चर्चा की।

गोपाल कृष्ण गोखले

महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना के आध्यात्मिक तथा राजनीतिक गुरु।

1905 के बनारस अधिवेशन में कांग्रेस की अध्यक्षता की। सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी (1905) के संस्थापक।

बाल गंगाधर तिलक

उपनाम: लोकमान्य। वैलेंटाइन शिरोल ने 'भारतीय अशांति का जनक' कहा।

नारा: "स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा"।

तिलक के समाचार पत्र

मराठी भाषा में केसरी और अंग्रेजी भाषा में मराठा।

सामाजिक सुधार (तिलक)

उन्होंने 1893 में गणेश उत्सव तथा 1895 में शिवाजी महोत्सव का चलन आरंभ किया।