भाग 5: प्रमुख राजनीतिक घटनाएँ और संघर्ष
(1905-1935)
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घटना/अधिनियम |
वर्ष |
नेता/गवर्नर जनरल |
परिणाम और मुख्य प्रावधान |
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1905 का कांग्रेस अधिवेशन |
अधिवेशन स्थल - बनारस |
अध्यक्ष - गोपाल कृष्ण गोखले |
बंगाल विभाजन के बाद नरमपंथियों
और उग्रवादियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया। गरमपंथी - बंगाल के साथ-साथ
पूरे देश में विभाजन विरोधी आंदोलन का विस्तार करना चाहते थे। नरमपंथी - आंदोलन को बंगाल तक
सीमित रखना चाहते थे। यहां तक कि वे स्वदेशी और
बहिष्कार आन्दोलन को सीमित रखने के पक्षधर थे। गरमपंथियों के दबाव में कांग्रेस
ने स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा की। |
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बंगाल विभाजन |
16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी |
लॉर्ड कर्जन |
आधिकारिक कारण: प्रशासनिक
असुविधा। वास्तविक नीति: बाँटो और राज करो। पूर्वी बंगाल (मुस्लिम बहुल) और
पश्चिमी बंगाल (हिंदू बहुल) में विभाजन। |
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स्वदेशी एवं बहिष्कार |
1905 |
सुरेंद्रनाथ बनर्जी, तिलक, सैयद हैदर रजा (दिल्ली), चितम्बरम पिल्लई (मद्रास) |
यूरोपीय वस्तुओं और संस्थानों
का बहिष्कार कर स्वदेशी को प्रोत्साहित किया गया। |
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मुस्लिम लीग की स्थापना |
1906 (30 दिसंबर) |
नवाब सलीमुल्लाह खान (अध्यक्ष) |
ढाका में स्थापित। मुख्य
उद्देश्य: ब्रिटिश सरकार के प्रति मुसलमानों में निष्ठा बढ़ाना और राजनीतिक
अधिकारों की रक्षा। |
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सूरत विभाजन |
1907 |
कांग्रेस का पहला औपचारिक
विभाजन (नरमपंथी और गरमपंथी अलग हुए)। |
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मॉर्ले-मिंटो सुधार |
1909 |
जॉन मॉर्ले (भारत सचिव), लॉर्ड मिंटो (वायसराय) |
मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन
मंडल की व्यवस्था की गई। सत्येन्द्र प्रकाश सिन्हा गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद
में विधि सदस्य बनने वाले प्रथम भारतीय। |
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दिल्ली दरबार |
7- 16 दिसंबर 1911 |
लॉर्ड हार्डिंग, जॉर्ज पंचम |
गेटवे ऑफ़ इंडिया का निर्माण भारत की राजधानी कलकत्ता से
दिल्ली ले जाने की घोषणा। बंगाल विभाजन रद्द किया गया। प्रथम दरबार - लॉर्ड लिट्टन
द्वारा 1 जनवरी 1877 को महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित करने द्वितीय दरबार - लॉर्ड कर्जन
द्वारा एडवर्ड सप्तम एवं महारानी एलेक्जैंड्रा को भारत के सम्राट एवं सम्राज्ञी
घोषित करने के लिए बडी धूमधाम से 1 जनवरी 1903 को आयोजित किया गया था। |
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भारत के राष्ट्रगान की प्रथम
सार्वजनिक प्रस्तुति |
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रचयिता -रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा बंगाली में भरतो भाग्य बिधाता के रूप में |
27 दिसंबर 1911 को भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता (अब कोलकाता) अधिवेशन में गाया गया था। गायिका - टैगोर की भान्जी सरला
देवी चौधुरानी संविधान सभा ने राष्ट्रगान के
रूप में अपनाया-24 जनवरी 1950 |
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दिल्ली षड्यंत्र केस |
23 दिसंबर 1912 |
रास बिहारी बोस |
लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका
गया। बसंत कुमार विश्वास, बाल मुकुंद, अवध बिहारी, और मास्टर अमीर चंद को फाँसी दी गई। |
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गदर पार्टी की स्थापना |
नवम्बर 1913 |
लाला हरदयाल एवं सोहन सिंह
भाखना द्वारा सेन फ्रेंसिस्को (अमेरिका) में |
यह एक भारतीय क्रांतिकारी संगठन
था। इस पार्टी ने गदर नामक साप्ताहिक पत्रिका उर्दू अंग्रेजी, मराठी एवं पंजाबी में प्रकाशित
की। 1 नवम्बर 1913 को इस पत्रिका का पहला अंक प्रकाशित हुआ। 1914 में लाला हरदयाल को
गिरफ़्तार कर लिया गया। जमानत से छूटने के बाद वे जर्मनी चले गये। जहां बर्लिन
में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता समिति की स्थापना की। |
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कामागाटामारू घटना |
1914 |
गुरुदित सिंह (प्रमुख) |
जापान से किराए पर लिए गए जहाज
को कनाडा के वैंकुवर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। कलकत्ता बंदरगाह (बजबज) पर
पुलिस से झड़प में 18 लोग मारे गए। |
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महात्मा गाँधी का आगमन |
9 जनवरी 1915 |
जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात
के पोरबंदर वास्तविक नाम मोहन दास करमचंद
गांधी मई 1883 में 13 वर्ष की उम्र
में आपका विवाह कस्तूरबा के साथ विवाह 4 सितम्बर 1888 में लंदन
यूनिवर्सिटी के चार लॉ कालेज में से एक इनर टेंपल कॉलेज में विधि का अध्ययन करने
लंदन गये। 10 जून 1891 को वे लॉ की पढ़ाई
पूरी कर वे भारत वापस आ गये। भारत में उन्होंने पहले मुम्बई तथा फिर राजकोट में
वकालत शुरू की. 1893 -दक्षिण अफ्रीका के
जोहान्सबर्ग में शिपिंग कारोबारी दादा अब्दुल्ला के विधि सलाहकार. 7 जून 1893 को जब महात्मा गांधी
डरबन शहर से प्रिटोरिया जाने के लिए रवाना हुए तो पीटर मारिटजबर्ग स्टेशन पर
उन्हे ट्रेन से उतार दिया गया. 1894 में नटाल इंडियन कांग्रेस
का गठन और इंडियन ओपिनियन पत्रिका का प्रकाशन. 10 जनवरी 1908 को जीवन की पहली गिरफ्तारी.
उन्हें ट्रांसवाल छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और दो माह के साधारण
कारावास की सजा सुनाई गई। हालांकि उनके बेहतर आचरण के कारण उन्हें 20 दिन बाद
छोड़ दिया गया। भारत में पहली गिरफ्तारी - 10
अप्रेल 1919 को जब महात्मा गांधी जी अमृतसर जा रहे थे तभी हरियाणा के पलवल नामक
स्टेशन पर उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। यह उनकी भारत में पहली राजनीतिक
गिरफ्तारी थी। महात्मा गांधी की स्मृति में यहां एक ऐतिहासिक इमारत गांधी आश्रम
की नींव 1938 में सुभाष चंद्र बोस
द्वारा रखी गयी। 1910 में टॉल्स्टॉय फार्म -
गांधी ने अपने मित्र हरमन कालेनबैक की मदद से एक आदर्शवादी समुदाय की स्थापना की, जिसका नाम उन्होंने जोहान्सबर्ग
के पास टॉल्स्टॉय फार्म रखा। गांधीजी का पुनः भारत आगमन - 9
जनवरी 1915 को गांधीजी का पुनः भारत आगमन हुआ। आप गेटवे ऑफ इंडिया यानी अपोलो
बन्दर पर उतरे। तीन दिन बाद आपके सम्मान में एक विशाल समारोह आयोजित किया गया।
जिसमें भारत सरकार द्वारा उन्हें कैसर-ए-हिन्द की उपाधि प्रदान की गयी। आप 22 वर्ष अफ्रीका रहें। गोपाल
कृष्ण गोखले ने उन्हे भारत की राजनीतिक स्थिति से अवगत किया। गांधी जी ने इस बीच
पोरबंदर, राजकोट तथा शान्ति निकेतन का
दौरा किया। 19 फरवरी 1915 को जब वे शान्ति निकेतन में थे तभी उन्हें गोपालकृष्ण
गोखले के निधन का समाचार टेलीग्राम से प्राप्त हुआ। |
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होमरूल लीग |
1916 |
तिलक (पुणे), न्यू इंडिया अखबार की संपादक एनी
बेसेंट (मद्रास) |
उद्देश्य: भारतीयों को राजनीतिक
शिक्षा प्रदान करना। होमरूल की लोकप्रियता को देखते
हुए सरकार ने एनी बेसेंट को गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ उनके सहयोगी जॉर्ज
अरुंडेल (होमरुल के सचिव) और बी पी वाडिया को भी गिरफ्तार किया गया। बेसेंट की गिरफ्तारी के विरोध
में एस सुब्रमण्यम अय्यर ने 'नाइट हुड' की उपाधि त्याग दी। |
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बी पी वाडिया (बोमनजी पेस्तोनजी वाडिया) |
मजदूर नेता, थियोसोफिस्ट 1908 में थियोसोफिकल सोसाइटी
अड्यार, मद्रास से जुड़े 13 अप्रैल 1918 को, वी. कल्याणसुंदरम मुदलियार के
साथ मिलकर , वाडिया ने मद्रास लेबर यूनियन
की स्थापना की, जो भारत के पहले संगठित श्रमिक
संघों में से एक था। वे मद्रास टेक्सटाइल वर्कर्स
यूनियन के अध्यक्ष बने और मज़दूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। |
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जॉर्ज अरुंडेल |
रुक्मिणी देवी अरुंडेल (नीलकंठ
शास्त्री) के पति थे। वे भारतीय इतिहास की पहली महिला थीं जिन्हें 3 अप्रैल 1952
को राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया गया। उन्होंने भरतनाट्यम के
पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह नृत्य अपनी मूल सादीर शैली
में मंदिर नर्तकियों, देवदासियों के बीच प्रचलित था। |
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लखनऊ समझौता |
1916 |
अध्यक्ष: अंबिका चरण मजूमदार |
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच
समझौता। जिन्ना को 'हिंदू-मुस्लिम एकता के दूत' कहा गया। |
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चंपारण सत्याग्रह |
1917 |
महात्मा गांधी, राजकुमार शुक्ल |
बिहार में नील किसानों के
समर्थन में भारत में गांधी का पहला सत्याग्रह। तिनकठिया प्रणाली के खिलाफ। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
गांधी को 'महात्मा' की उपाधि दी। |
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अगस्त घोषणा |
20 अगस्त 1917 |
1914 में प्रथम विश्व युद्ध
आरंभ हो गया इस युद्ध में भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ दिया। इससे प्रसन्न होकर 20 अगस्त
1917 को भारत सचिव लॉर्ड मान्टेंग्यू ने यह घोषणा की कि भारत के शासन में
भारतीयों को धीरे-धीरे भागीदारी प्रदान की जायेगी इस घोषणा को अगस्त घोषणा के
नाम से जाना जाता है। |
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अहमदाबाद मिल आंदोलन |
फरवरी 1918 |
अहमदाबाद में एक निजी कपड़ा मिल
के मजदूरों ने प्लेग बोनस न मिलने के कारण मिल मालिक के खिलाफ हड़ताल कर दिया। महात्मा गांधी ने मजदूरों के
समर्थन में भूख हड़ताल की। यह भारत में महात्मा गांधी की पहली भूख हड़ताल थी। मिल
मालिकों में से अम्बालाल साराभाई की बहन
अनुसूईया बेन ने महात्मा गांधी का साथ दिया। |
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खेड़ा सत्याग्रह |
मार्च 1918 |
गुजरात के खेड़ा जिले में भीषण
अकाल पड़ गया। इसके बाबजूद सरकार ने भू लगान में 23 प्रतिशत की वृद्धि कर दी।
किसानों ने इसका विरोध किया एवं महात्मा गांधी ने किसानों का समर्थन किया। गांधी ने सुटबूट छोड़ आधी धोती
पहन ली गांधी जी का मानना था कि जहां
लाखों लोग बिना कपड़ों के हैं और चार इंच लंबी लंगोट के लिए तरस रहे हैं मैं
उन्हें क्या जवाब देता। 21 सितम्बर 1921 में मदुरई की सभा के बाद फिर गांधी ने
सब कपड़े छोड़ आधी धोती पहन ली और लोगों के साथ आकर खड़े हो गए। |
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रॉलेट एक्ट |
18 मार्च 1919 |
सर सिडनी रॉलेट |
'काला कानून' कहा गया। औपनिवेशिक सरकार को बिना मुकदमे के दो साल तक किसी भी
संदिग्ध व्यक्ति को कैद करने का अधिकार दिया। मदन मोहन मालवीय और जिन्ना ने
इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल से इस्तीफा दिया। |
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जलियांवाला बाग कांड |
13 अप्रैल 1919 |
ब्रिगेडियर-जनरल डायर |
अमृतसर में निहत्थी भीड़ पर
गोलीबारी। पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर: माइकल ओ 'डायर। |
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खिलाफत आंदोलन |
सितंबर 1919 मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, मौलाना मुहम्मद अली जौहर, मौलाना शौकत अली |
प्रथम विश्व युद्ध के बाद
तुर्की का विभाजन और खलीफा के पद का महत्त्व समाप्त करने के विरोध में 17 अक्टूबर 1919 को खिलाफत दिवस खिलाफत आंदोलन के नेताओं ने
आगामी असहयोग आंदोलन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया। 19 मार्च 1920 को फिर से खिलाफत
दिवस के रूप में मनाया गया और उसके बाद जून 1920 में इलाहाबाद में एक सर्वदलीय
सम्मेलन हुआ जिसमें कांग्रेस ने आन्दोलन का सर्मथन करने की घोषणा की। यह आंदोलन बंगाल, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत और
पंजाब में चरम पर पहुंच गया। खिलाफत आंदोलन बहुत तेजी से आया और चला भी गया। जब
मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने खलीफा के पद को समाप्त कर दिया तब इसकी प्रासंगिकता ही
समाप्त गई। |
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असहयोग आंदोलन |
1 अगस्त 1920 |
महात्मा गांधी |
शुरू होने के दिन तिलक की मृत्यु हुई। नागपुर अधिवेशन (दिसंबर 1920) में लक्ष्य 'स्वराज' घोषित। |
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चौरी चौरा घटना |
4 फरवरी 1922 |
गोरखपुर में प्रदर्शनकारियों ने
पुलिस स्टेशन में आग लगाई, 22 पुलिसकर्मी मारे गए। गांधी ने 12 फरवरी 1922 को आंदोलन स्थगित किया। |
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गया अधिवेशन |
26 दिसंबर 1922 |
अध्यक्ष - सी आर दास यानी
चितरंजन दास स्थान - गया बिहार महत्व - गया कांग्रेस में इस
बात पर विचार किया गया कि क्या कांग्रेस को
विधान परिषदों के आगामी चुनावों में भाग लेना चाहिए। प्रो-चैंजर तथा नो-चैंजर -
गांधी जी और उनके समर्थक नो-चैंजर कहलाये, उन्होंने चुनाव का बहिष्कार करने का आग्रह किया। सी आर दास तथा मोतीलाल नेहरू को
प्रो-चैंजर कहा जाता है, उन्होंने चुनाव में भागीदारी
करने का आग्रह किया। प्रो-चैन्जर्स ने स्वराज पार्टी
का गठन किया। राम प्रसाद बिस्मिल और उनके
समूह ने गया अधिवेशन में गांधी जी का कड़ा विरोध किया। |
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स्वराज पार्टी |
1 जनवरी 1923 |
मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास, एन.सी. केलकर |
काउंसिल में प्रवेश का समर्थन
किया। 1924 में मुडीमैन कमेटी का गठन इन्हीं के प्रस्ताव पर
हुआ। |
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बेलगांव अधिवेशन स्थल |
दिसम्बर 1924 अधिवेशन स्थल - बेलगांव, कर्नाटक |
अध्यक्ष - गांधी जी केवल एक बार
काग्रेस अध्यक्ष पूर्ण स्वराज के मुददे पर उनका
मत जवाहर लाल व सुभाष के खिलाफ थे। उनका मानना था कि अभी हमें डोमेनियन स्टेटस
की मांग करनी चाहिए। 1925 से 1928 तक गांधी जी ने खुद को राजनीति से दूर रखा। इस
बीच उन्होने लेखन एवं दलित उद्धार का कार्य किया। 1928 में वे कलकत्ता अधिवेशन
में शामिल हुए। |
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साइमन कमीशन |
नवंबर 1927 |
जॉन साइमन |
1919 अधिनियम की समीक्षा के लिए गठित। सभी अंग्रेज सदस्य होने के कारण 'वाइटमैन कमीशन'। विरोध में लाठीचार्ज से लाला
लाजपत राय घायल हुए (मृत्यु: 17 नवंबर 1928)। |
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बटलर समिति |
ब्रिटिश सरकार द्वारा 16 दिसंबर 1927 |
समिति के अध्यक्ष व सदस्य - सर
हारकोर्ट बटलर तथा दो अन्य सदस्य - विलियम सर्ल होल्ड्सवर्थ और सिडनी पील अन्य नाम -कमेटी ऑन इंडियन
स्टेट्स समिति का उद्देश्य - भारतीय
देशी रियासतों और ब्रिटिश पैरामाउंसी के बीच संबंधों की जांच करना। पैरामाउंसी की शुरूआत -
पैरामाउंसी की नीति लॉर्ड हेस्टिंग्स द्वारा शुरू की गई थी। लॉर्ड हेस्टिंग्स 1813 से 1823
तक गवर्नर-जनरल रहे। पैरामाउंसी की नीति के अनुसार, ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थिति
भारतीय देशी रियासतों के उपर होगी। कम्पनी अपने हितों को पूरा करने के लिए किसी
भी देशी रियासत का अधिग्रहण कर सकती है। ईस्ट इंडिया कम्पनी का शासन
खत्म होने के बाद पैरामाउंसी ब्रिटिश सम्राट में हस्तांतरित हो गई। |
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नेहरू रिपोर्ट |
1928 |
मोतीलाल नेहरू |
भारत को डोमिनियन राज्य बनाने की सिफारिश। मुसलमानों के
लिए पृथक निर्वाचन मंडल के बजाय केवल अल्पसंख्यक क्षेत्रों में आरक्षण का
प्रस्ताव। |
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बारदोली सत्याग्रह |
1928 |
बल्लभ भाई पटेल |
1925 में, गुजरात के बारदोली तालुका में
अकाल के बावजूद बॉम्बे प्रेसीडेंसी की सरकार ने भूराजस्व की दर में 22 प्रतिशत
की वृद्धि कर दी इसके विरोध में . |
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लाहौर अधिवेशन |
1929 |
जवाहरलाल नेहरू |
'पूर्ण स्वराज' का उद्देश्य घोषित किया गया। 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने
का निर्णय लिया गया। |
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सविनय अवज्ञा आंदोलन |
1930 (6 अप्रैल) |
महात्मा गांधी |
12 मार्च को साबरमती से दांडी यात्रा (240 मील)। गांधी ने 11 सूत्रीय माँगे सरकार के सामने
रखी थीं। सुभाष चंद्र बोस ने दांडी मार्च
की तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च से की. |
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वेदारण्यम मार्च |
13 -28 अप्रैल 1930 |
सी राजगोपालाचारी |
त्रिचीनोपोली (अब
तिरुचिरापल्ली) से आरम्भ हुआ और 240 किलोमीटर दूर तंजौर जिले के एक छोटे से तटीय
शहर वेदारण्यम में इसका समापन |
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धरसना सत्याग्रह |
4 मई 1930 धरसना सॉल्ट वर्क्स (गुजरात) |
सेवानिवृत्त न्यायाधीश अब्बास
तैयबजी ने गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा के साथ इसका नेतृत्व किया। लेकिन उन्हें
धरसना पहुंचने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया और तीन महीने की जेल की सजा
सुनाई गई। उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा
समर्थित सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहा। अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर
सत्याग्रहियों की इस पिटाई का एक प्रत्यक्ष गवाह था जिसमें स्टील की मूठ लगी
लाठी (लाठी) से सत्याग्रहियों की पिटाई की रिपोर्ट का सीधा प्रसारण किया। |
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खुदाई खिदमतगार |
1929 |
अब्दुल गफ्फार खान ('सीमांत गांधी') |
उपनिवेशवाद-विरोधी अहिंसक
प्रतिरोध आंदोलन, जिसे लाल कुर्ती आंदोलन के रूप में जाना जाता है। |
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1 RTC |
12 नवम्बर 1930 |
साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर
विचार विमर्श करने हेतु तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने
लंदन में एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में ब्रिटिश भारत से
58 तथा देशी रियासतों से 16 प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। लेकिन कांग्रेस पार्टी
ने इसका बहिष्कार किया। 2 जनवरी 1931 को समाप्त कर दिया
गया। |
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चरणपादुका नरसंहार |
14 जनवरी 1931 को मकर संक्रांति
के दिन |
छतरपुर जिले में उर्मिल नदी के
तट पर चरण पादुका में स्वतंत्रता सेनानियों की एक बैठक का आयोजन किया गया। नवगांव के राजनीतिक एजेंट ने इस
बैठक में बिना किसी पूर्व सूचना के गोली चलाने का आदेश दे दिया, जिसमें कई स्वतंत्रता सेनानी
मारे गए। इस जघन्य गोलीबारी में जिसे
मध्य प्रदेश के जलियां वाला बाग के रूप में भी जाना जाता है, सरकारी रिकार्ड के अनुसार 6 लोग
सेठ सुंदरलाल, धरमदास खिरवा, चिरकू, हलके कुर्मी, रामलाल कुर्मी और रघुराज सिंह
पुलिस की गोली का शिकार हुये। |
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गांधी-इरविन पैक्ट |
1931 (5 मार्च) |
गांधी और लॉर्ड इरविन |
कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा
आंदोलन वापस लिया और द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने की घोषणा की। विंस्टन
चर्चिल ने गांधी को 'आधे नंगे देशद्रोही फकीर' कहा था। |
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कांग्रेस का कराची अधिवेशन |
29 मार्च 1931 |
सरदार बल्लभ भाई पटेल की
अध्यक्षता में |
कांग्रेस ने दो प्रस्ताव पारित
किये- एक - मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से
सम्बंधित, दूसरा - राष्ट्रीय आर्थिक
कार्यक्रमों से संबंधित मूलभूत राजनीतिक अधिकारों से
जुड़े प्रस्ताव में अभिव्यक्ति व प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता, सार्वभौम वयस्क मताधिकार के
आधार पर चुनावों की स्वतंत्रता, सभा व सम्मेलन आयोजित करने की स्वतंत्रता, जाति, धर्म व लिंग के आधार पर भेदभाव
किये बिना कानून के समक्ष समानता, सभी धर्मों के प्रति राज्य का तटस्थ भाव, निःशुल्क एवं अनिवार्य प्राथमिक
शिक्षा की गारंटी, तथा अल्पसंख्यकों तथा विभिन्न
भाषाई क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा एवं लिपि के संरक्षण व सुरक्षा की गारंटी का प्रावधान शामिल
था। राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम से
संबंधित प्रस्ताव में मजदूरों एवं किसानों को अपनी यूनियन बनाने की स्वतंत्रता, मजदूरों के लिये बेहतर सेवा
शर्तें, महिला मजदूरों की सुरक्षा तथा
काम के नियमित घंटे, किसानों को कर्ज से राहत और
सूदखोरों पर नियंत्रण, अलाभकारी जोतों को लगान से
मुक्ति, लगान और मालगुजारी में उचित
कटौती तथा प्रमुख उद्योगों, परिवहन और खदान को सरकारी स्वामित्व एवं नियंत्रण में रखने का
वचन का प्रावधान शामिल था। |
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2nd ARC |
7 सितम्बर से 1 दिसम्बर 1931 लंदन |
महात्मा गांधी काग्रेंस के एक
मात्र प्रतिनिधि के तौर पर शामिल सरोजनी नायडु, बेगम जहांआरा, शाहनवाज तथा राधा बाई सुब्बारयण
ने इस सम्मेलन में महिलाओं का नेतृत्व किया। घनश्याम दास बिरला उधोगपतियों के
प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए। भीमराव अम्बेडकर की मांग पर
दलितों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा प्रदान करने व उनके लिए पृथक निर्वाचक
मंडल का प्रस्ताव रखा परंतु गांधी जी उससे सहमत नहीं थे, इसलिए बिना किसी परिणाम के समाप्त. |
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रैम्जे मेकडोनाल्ड अवार्ड |
16 अगस्त 1932 |
ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे
मेकडोनाल्ड ने दलितों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल की घोषणा की इसे ही
साम्प्रदायिक पंचाट कहते हैं। बी. आर. अम्बेडकर ने इसमें
केन्द्रीय भूमिका निभाई परंतु महात्मा गांधी इस घोषणा के विरूद्ध थे। |
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पूना समझौता |
1932 (24 सितंबर) |
गांधी और अंबेडकर |
यरवदा जेल में हुआ। दलितों के
लिए सुरक्षित सीटें 71 से बढ़ाकर 148 की गईं। टैगोर ने इसे "भारत की एकता और सामाजिक अखंडता
के लिए एक उत्कृष्ट बलिदान" कहा। |
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3RD ARC |
17 नवम्बर 1932 लंदन |
46 भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग
लिया, कांग्रेस की ओर से इसमें कोई
नहीं गया। |
कांग्रेस की अनुपस्थिति में भी
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन के रिपोर्ट को 1935 के भारत शासन अधिनियम का
प्रारूप बना दिया। इसी सम्मेलन में कैम्ब्रिज
विश्वविद्यालय से स्नातक के एक छात्र चौधरी रहमत अली ने पाकिस्तान शब्द की
अवधारणा दी। |
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भारत सरकार अधिनियम |
1935 |
राज्यों से द्वैध शासन समाप्त; केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया। अखिल भारतीय संघ का प्रावधान। बर्मा का प्रशासन भारतीय
प्रशासन से पृथक किया गया। |
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