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Friday, October 17, 2025

रिवीजन नोट्स आधुनिक भारत का इतिहास भाग 7: द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता की ओर (1939-1947)

 


भाग 7: द्वितीय विश्व युद्ध और स्वतंत्रता की ओर (1939-1947)

घटना/प्रस्ताव

वर्ष

नेता/वायसराय

मुख्य बिंदु और परिणाम

आम चुनाव - 1937

यह चुनाव मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बाम्बे, असम, नार्थ वेस्ट, फ्रंटियर बंगाल पंजाब तथा सिंध सहित ग्यारह राज्यों में सम्पन्न हुआ।

11 में से 8 प्रांतो में कांग्रेस की सरकार(6 में बहुमत सरकार तथा 2 अन्य प्रान्तों में साझा

बंगाल- यूनाईटेड पार्टी

पंजाब - यूनियनिस्ट पार्टी

सिंध - कृषक प्रजा पार्टी

मुस्लिम लीग को एक भी राज्य में बहुमत प्राप्त नहीं हुआ।

प्रांतीय विधानसभाओं की कुल 1585 सीटों में से काग्रेस को 707 तथा मुस्लिम को 106 सीटें प्राप्त हुई।

 59 सीटें मुस्लिम आरक्षित सीटों में भी 25 पर कांग्रेंस

इससे मुस्लिम लीग का भारत में रहकर सत्ता में आने का भ्रम टूट गया तथा मुस्लिम लीग ने द्विराष्ट्र सिंद्धांत पर अमल करना आरंभ कर दिया।

त्रिपुरी संकट

8 से 12 मार्च 1939

1938 में हरिपुरा (गुजरात) गाँधी जी के विरोध के बावजूद सुभास चन्द्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित , पट्टाभिसीता रमैया की पराजय

कांग्रेस छोड़ कर 3 मई 1939 को फारवर्ड ब्लाक नामक पार्टी बनाई

उनके त्यागपत्र के बाद राजेन्द्र प्रसाद को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।

कांग्रेस मंत्रिमंडलों का इस्तीफा

22 दिसंबर 1939

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों से बिना परामर्श किए भारत को युद्ध में शामिल करने के विरोध में।

जिन्ना ने इस दिन को 'मुक्ति दिवस' के रूप में मनाने का आह्वान किया।

अगस्त प्रस्ताव

8 अगस्त 1940

लॉर्ड लिनलिथगो

युद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस और भारतीयों को संविधान निर्मित करने का अधिकार देने का प्रस्ताव।

कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया।

लाहौर अधिवेशन : द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त

सर सैयद अहमद खान को द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त का जनक

मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के निर्माण का संकल्प पारित किया

लुइस माउंटबेटन ने विभाजन का विरोध किया। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि अगर उन्हें पता होता कि जिन्ना तपेदिक से मर रहे हैं तो उन्होंने शायद पाकिस्तान बनाने के प्रस्ताव को विफल कर दिया होता।

हसरत मोहानी, एक उर्दू कवि, जिन्होंने हिंदुस्तानी भाषा के वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद को गढ़ा था, दो-राष्ट्र सिद्धांत के खिलाफ थे और विभाजन के बाद स्वतंत्र भारत में रहने का विकल्प चुना।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भारत के विभाजन का विरोध किया और देश के विभाजन के विरोध में 15 अगस्त 1947 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग नहीं लिया।

व्यक्तिगत सत्याग्रह

17 अक्टूबर 1940

विनोबा भावे (पहले), जवाहरलाल नेहरू (दूसरे)

राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए गांधीजी के निर्देश पर शुरू किया गया।

क्रिप्स प्रस्ताव

मार्च 1942

सर स्टैफोर्ड क्रिप्स

भारत को डोमिनियन राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव। गांधीजी ने इसे 'उत्तर दिनांकित चेक' (Post-dated cheque) कहा, नेहरू ने 'दिवालिया बैंक का उत्तर दिनांकित चेक' कहा।

भारत छोड़ो आंदोलन

8 अगस्त 1942

महात्मा गांधी

वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया।

घोषणा मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई।

नारा: "करो या मरो"।

अरुणा आसफ अली ने कांग्रेस रेडियो से भारतीयों को संबोधित किया।

चित्तू पांडे (बलिया, यूपी) ने समानांतर सरकार बनाई।

हिंदू महासभा के अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर, और श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बंगाल में हिंदू महासभा के नेता, (जो कि फजलुल हक की कृषक प्रजा पार्टी के नेतृत्व में बंगाल में सत्तारूढ़ गठबंधन का एक हिस्सा था) ने खुले तौर पर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और आधिकारिक तौर पर इसका बहिष्कार किया।

राजगोपालाचारी फॉर्मूला

10 जुलाई 1944

सी. राजगोपालाचारी

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सहयोग बढ़ाने हेतु। अप्रत्यक्ष रूप से पृथक पाकिस्तान की अवधारणा का प्रस्ताव था।

जिन्ना ने अस्वीकार कर दिया।

गांधी जिन्ना वार्ता 

 

19 सितम्बर-24 सितम्बर 1944

सी.आर. फार्मूले के आधार पर गांधी जी ने जिन्ना से एक भेंट की।

उनके अनुसार भारत एक एकीकृत राष्ट्र है तथा पाकिस्तान की मांग पूरे देश को बर्वाद कर देगी परंतु जिन्ना महात्मा गांधी के प्रस्तावों पर राजी नहीं हुये तथा बातचीत खत्म कर दी गई।

 

देसाई लियाकत पैक्ट

 

फरवरी 1945

कांग्रेस के भूलाभाई जीवनजी देसाई तथा मुस्लिम लीग के नबावजादा लियाकत अलीखान

इस प्रस्ताव के अनुसार- कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग को मिलकर केन्द्र में अंतरिम सरकार बनाना चाहिए तथा इस अंतरिम सरकार में दोनों पार्टियों की सदस्य संख्या बराबर होगी। कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने इस प्रस्ताव को नकार दिया.

वेवेल योजना/शिमला सम्मेलन

जून 1945

लॉर्ड वेवेल

वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार और उसमें विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत व्यक्तियों को नियुक्त करने का प्रस्ताव।

शिमला सम्मेलन में लीग ने खुद को मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि बताया।

INA मुकदमा

नवंबर 1945

प्रेम सहगल, गुरबख्श सिंह, शाहनवाज खान

दिल्ली के लाल किले में राजद्रोह का मुकदमा चला। बचाव टीम में भूलाभाई देसाई, तेज बहादुर सप्रू, नेहरू शामिल थे।

कमांडर-इन-चीफ सर क्लॉड औक्लिनिक ने आजीवन निर्वासन की सजा माफ कर दी।

रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह

18 फरवरी 1946

नौसेना के जहाज "तलवार" से शुरू हुआ।

नौसैनिकों को दूषित भोजन परोसे जाने और अपमान के कारण।

कैबिनेट मिशन

24 मार्च 1946

पैथिक लॉरेंस (अध्यक्ष), स्टैफोर्ड क्रिप्स, ए.वी. अलेक्जेंडर

उद्देश्य: सत्ता हस्तांतरण का समाधान और संविधान सभा के गठन का प्रारूप तैयार करना।

मिशन ने भारत को एक संघ बनाने और प्रांतों को तीन समूहों (A, B, C) में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया।

प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस

16 अगस्त 1946

मुस्लिम लीग

मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के लिए दंगे करने का फैसला।

कलकत्ता, नोआखली और टिप्पेरा में बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ।

अंतरिम सरकार

2 सितम्बर 1946

पं. नेहरू-उपाध्यक्ष (कांग्रेस)

वल्लभ भाई पटेल-(गृह, सूचना मंत्री)

बलदेव सिंह-विदेश मंत्री

लियाकत अली खान-वित्त मंत्री (मुस्लिम लीग से)

गजनफर अलीखान-स्वास्थ्य मंत्रालय (मुस्लिम लीग से)

राजेन्द्र प्रसाद-खाद्य तथा कृषि

जोगीन्दर नाथ मंडल-विधि मंत्री (मुस्लिम लीग से)

सी. एच. भाभा-खननमंत्री

जगजीवन राम- श्रममंत्री

अब्दुल-रब- निस्तार- संचार (मुस्लिम लीग से)

आसफ अली-रेलवे

सी. राजगोपालाचारी-शिक्षा

इब्राहिम इस्माईल चुनरीधर-वाणिज्य (मुस्लिम लीग से)

माउंटबेटन योजना

3 जून 1947

लॉर्ड माउंटबेटन

देश के बँटवारे (भारत और पाकिस्तान) की योजना।

देसी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने की स्वतंत्रता।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम

15 अगस्त 1947

क्लीमेंट एटली (ब्रिटिश प्रधानमंत्री)

14 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत किया गया।

भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने।