भाग 7: द्वितीय विश्व युद्ध और
स्वतंत्रता की ओर (1939-1947)
|
घटना/प्रस्ताव |
वर्ष |
नेता/वायसराय |
मुख्य बिंदु और परिणाम |
|
आम चुनाव - 1937 |
यह चुनाव मद्रास, मध्य प्रांत, बिहार, उड़ीसा, संयुक्त प्रांत, बाम्बे, असम, नार्थ वेस्ट, फ्रंटियर बंगाल पंजाब तथा सिंध
सहित ग्यारह राज्यों में सम्पन्न हुआ। |
11 में से 8 प्रांतो में
कांग्रेस की सरकार(6 में बहुमत सरकार तथा 2 अन्य प्रान्तों में साझा बंगाल- यूनाईटेड पार्टी पंजाब - यूनियनिस्ट पार्टी सिंध - कृषक प्रजा पार्टी मुस्लिम लीग को एक भी राज्य में
बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। प्रांतीय विधानसभाओं की कुल
1585 सीटों में से काग्रेस को 707 तथा मुस्लिम को 106 सीटें प्राप्त हुई। 59 सीटें मुस्लिम आरक्षित सीटों में भी 25 पर कांग्रेंस
इससे मुस्लिम लीग का भारत में
रहकर सत्ता में आने का भ्रम टूट गया तथा मुस्लिम लीग ने द्विराष्ट्र सिंद्धांत
पर अमल करना आरंभ कर दिया। |
|
|
त्रिपुरी संकट |
8 से 12 मार्च 1939 |
1938 में हरिपुरा (गुजरात) गाँधी
जी के विरोध के बावजूद सुभास चन्द्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित ,
पट्टाभिसीता रमैया की पराजय कांग्रेस छोड़ कर 3 मई 1939 को
फारवर्ड ब्लाक नामक पार्टी बनाई उनके त्यागपत्र के बाद
राजेन्द्र प्रसाद को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। |
|
|
कांग्रेस मंत्रिमंडलों का
इस्तीफा |
22 दिसंबर 1939 |
द्वितीय विश्व युद्ध में
भारतीयों से बिना परामर्श किए भारत को युद्ध में शामिल करने के विरोध में। जिन्ना ने इस दिन को 'मुक्ति दिवस' के रूप में मनाने का आह्वान
किया। |
|
|
अगस्त प्रस्ताव |
8 अगस्त 1940 |
लॉर्ड लिनलिथगो |
युद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस
और भारतीयों को संविधान निर्मित करने का अधिकार देने का प्रस्ताव। कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। |
|
लाहौर अधिवेशन : द्वि-राष्ट्र
सिद्धान्त |
सर सैयद अहमद खान को
द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त का जनक |
मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के
निर्माण का संकल्प पारित किया लुइस माउंटबेटन ने विभाजन का
विरोध किया। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि अगर उन्हें पता होता कि जिन्ना
तपेदिक से मर रहे हैं तो उन्होंने शायद पाकिस्तान बनाने के प्रस्ताव को विफल कर
दिया होता। हसरत मोहानी, एक उर्दू कवि, जिन्होंने हिंदुस्तानी भाषा के
वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद को गढ़ा था, दो-राष्ट्र सिद्धांत के खिलाफ थे और विभाजन के बाद स्वतंत्र भारत
में रहने का विकल्प चुना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने
भारत के विभाजन का विरोध किया और देश के विभाजन के विरोध में 15 अगस्त 1947 के
स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग नहीं लिया। |
|
|
व्यक्तिगत सत्याग्रह |
17 अक्टूबर 1940 |
विनोबा भावे (पहले), जवाहरलाल नेहरू (दूसरे) |
राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के
लिए गांधीजी के निर्देश पर शुरू किया गया। |
|
क्रिप्स प्रस्ताव |
मार्च 1942 |
सर स्टैफोर्ड क्रिप्स |
भारत को डोमिनियन राज्य का
दर्जा देने का प्रस्ताव। गांधीजी ने इसे 'उत्तर दिनांकित चेक' (Post-dated cheque) कहा, नेहरू ने 'दिवालिया बैंक का उत्तर
दिनांकित चेक' कहा। |
|
भारत छोड़ो आंदोलन |
8 अगस्त 1942 |
महात्मा गांधी |
वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति
ने अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया। घोषणा मुंबई के ग्वालिया टैंक
मैदान में हुई। नारा: "करो या मरो"। अरुणा आसफ अली ने कांग्रेस
रेडियो से भारतीयों को संबोधित किया। चित्तू पांडे (बलिया, यूपी) ने समानांतर सरकार बनाई। हिंदू महासभा के अध्यक्ष विनायक
दामोदर सावरकर, और श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बंगाल में हिंदू महासभा के नेता, (जो कि फजलुल हक की कृषक प्रजा
पार्टी के नेतृत्व में बंगाल में सत्तारूढ़ गठबंधन का एक हिस्सा था) ने खुले तौर
पर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और आधिकारिक तौर पर इसका बहिष्कार किया। |
|
राजगोपालाचारी फॉर्मूला |
10 जुलाई 1944 |
सी. राजगोपालाचारी |
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच
सहयोग बढ़ाने हेतु। अप्रत्यक्ष रूप से पृथक पाकिस्तान की अवधारणा का प्रस्ताव
था। जिन्ना ने अस्वीकार कर दिया। |
|
गांधी जिन्ना वार्ता |
19 सितम्बर-24 सितम्बर 1944 |
सी.आर. फार्मूले के आधार पर
गांधी जी ने जिन्ना से एक भेंट की। |
उनके अनुसार भारत एक एकीकृत
राष्ट्र है तथा पाकिस्तान की मांग पूरे देश को बर्वाद कर देगी परंतु जिन्ना
महात्मा गांधी के प्रस्तावों पर राजी नहीं हुये तथा बातचीत खत्म कर दी गई। |
|
देसाई लियाकत पैक्ट |
फरवरी 1945 |
कांग्रेस के भूलाभाई जीवनजी
देसाई तथा मुस्लिम लीग के नबावजादा लियाकत अलीखान |
इस प्रस्ताव के अनुसार-
कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग को मिलकर केन्द्र में अंतरिम सरकार बनाना चाहिए तथा इस
अंतरिम सरकार में दोनों पार्टियों की सदस्य संख्या बराबर होगी। कांग्रेस तथा
मुस्लिम लीग दोनों ने इस प्रस्ताव को नकार दिया. |
|
वेवेल योजना/शिमला सम्मेलन |
जून 1945 |
लॉर्ड वेवेल |
वायसराय की कार्यकारी परिषद का
विस्तार और उसमें विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत व्यक्तियों को नियुक्त
करने का प्रस्ताव। शिमला सम्मेलन में लीग ने खुद
को मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि बताया। |
|
INA मुकदमा |
नवंबर 1945 |
प्रेम सहगल, गुरबख्श सिंह, शाहनवाज खान |
दिल्ली के लाल किले में
राजद्रोह का मुकदमा चला। बचाव टीम में भूलाभाई देसाई, तेज बहादुर सप्रू, नेहरू शामिल थे। कमांडर-इन-चीफ सर क्लॉड
औक्लिनिक ने आजीवन निर्वासन की सजा माफ कर दी। |
|
रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह |
18 फरवरी 1946 |
नौसेना के जहाज "तलवार" से शुरू हुआ। नौसैनिकों को दूषित भोजन परोसे
जाने और अपमान के कारण। |
|
|
कैबिनेट मिशन |
24 मार्च 1946 |
पैथिक लॉरेंस (अध्यक्ष), स्टैफोर्ड क्रिप्स, ए.वी. अलेक्जेंडर |
उद्देश्य: सत्ता हस्तांतरण का
समाधान और संविधान सभा के गठन का प्रारूप तैयार करना। मिशन ने भारत को एक संघ बनाने
और प्रांतों को तीन समूहों (A, B, C) में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया। |
|
प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस |
16 अगस्त 1946 |
मुस्लिम लीग |
मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के
लिए दंगे करने का फैसला। कलकत्ता, नोआखली और टिप्पेरा में बड़े
पैमाने पर नरसंहार हुआ। |
|
अंतरिम सरकार |
2 सितम्बर 1946 |
पं. नेहरू-उपाध्यक्ष (कांग्रेस) वल्लभ भाई पटेल-(गृह, सूचना मंत्री) बलदेव सिंह-विदेश मंत्री लियाकत अली खान-वित्त मंत्री
(मुस्लिम लीग से) गजनफर अलीखान-स्वास्थ्य
मंत्रालय (मुस्लिम लीग से) राजेन्द्र प्रसाद-खाद्य तथा
कृषि जोगीन्दर नाथ मंडल-विधि मंत्री
(मुस्लिम लीग से) सी. एच. भाभा-खननमंत्री जगजीवन राम- श्रममंत्री अब्दुल-रब- निस्तार- संचार
(मुस्लिम लीग से) आसफ अली-रेलवे सी. राजगोपालाचारी-शिक्षा इब्राहिम इस्माईल चुनरीधर-वाणिज्य
(मुस्लिम लीग से) |
|
|
माउंटबेटन योजना |
3 जून 1947 |
लॉर्ड माउंटबेटन |
देश के बँटवारे (भारत और
पाकिस्तान) की योजना। देसी रियासतों को भारत या
पाकिस्तान में शामिल होने की स्वतंत्रता। |
|
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम |
15 अगस्त 1947 |
क्लीमेंट एटली (ब्रिटिश
प्रधानमंत्री) |
14 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत
किया गया। भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र
राष्ट्र बने। |

