भाग 8: भारत में राज्यों का पुनर्गठन (स्वतंत्रता के
बाद)
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आयोग/घटना |
वर्ष |
मुख्य उद्देश्य/सदस्य |
सिफारिशें/परिणाम |
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एस. के. धर आयोग |
जून 1948 |
एस. के. धर (अध्यक्ष) |
भाषाई आधार पर राज्यों के
पुनर्गठन की आवश्यकता की जाँच करना। प्रशासनिक सुविधा के आधार पर राज्यों के गठन की
सिफारिश की। |
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जे. वी. पी. समिति |
दिसंबर 1948 |
जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, पट्टाभि सीतारमैया |
अप्रैल 1949 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की
और भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के
विचार को खारिज कर दिया |
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आंध्र प्रदेश का गठन |
1953 (1 अक्टूबर) |
पोट्टी श्रीरामुलु (अनशन के बाद
मृत्यु) |
मद्रास राज्य के कुछ हिस्सों से तेलुगु भाषी आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया
गया। |
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राज्य पुनर्गठन आयोग |
1953 (22 दिसंबर) |
फ़ज़ल अली (अध्यक्ष), एच. एन. कुंजरू, के. एम. पणिक्कर |
30 सितंबर 1955 को रिपोर्ट प्रस्तुत की। सुझाव
दिया कि पूरे देश को 16 राज्यों और तीन केंद्र शासित
क्षेत्रों में विभाजित किया जाए। |
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राज्य पुनर्गठन अधिनियम |
1956 (नवंबर) |
देश को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया। |
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अन्य राज्य निर्माण |
1960-2014 |
1960 में गुजरात और महाराष्ट्र बनाए गए। 1963 में नागालैंड (16वाँ राज्य)। शाह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1966 में पंजाब से हरियाणा अलग हुआ। 2 जून 2014 को तेलंगाना भारत का 29वाँ राज्य बना। |
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जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन |
2019 |
जम्मू और कश्मीर राज्य को दो नए
केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया। |
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