“वंदे मातरम्” — यह मात्र एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की धड़कन है। यह वह स्वर है, जिसने आज़ादी के आंदोलन में लाखों भारतीयों के हृदय में मातृभूमि के लिए प्रेम, गर्व और बलिदान की भावना को जागृत किया। भारत का राष्ट्रीय गीत कहलाने वाला “वंदे मातरम्” हमारे राष्ट्र की अस्मिता, संस्कृति और शक्ति का अमर प्रतीक है।
✍️ रचना और प्रेरणा
इस अमर गीत की रचना बंकिम चंद्र
चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) ने की थी। सन् 1870 के दशक में
अंग्रेज़ शासकों ने सरकारी आयोजनों में ‘God Save
the Queen’ गीत गाना अनिवार्य कर दिया था।
यह
आदेश भारतीयों की आत्मा को गहराई से चोट पहुँचा गया — क्योंकि इसमें राष्ट्र के
गौरव का नहीं, दासता का भाव था।
बंकिमचंद्र,
जो
उस समय एक सरकारी अधिकारी थे, इस अन्याय से व्यथित हो उठे। उन्होंने
अंग्रेज़ी प्रभुत्व के इस प्रतीक के विकल्प के रूप में एक ऐसा गीत रचा जो भारत
माता के प्रति सम्मान और प्रेम से ओत-प्रोत था — और उसका नाम रखा “वंदे मातरम्” अर्थात् “माता,
मैं
तेरा वंदन करता हूँ।”
🪶 भाषा और स्वरूप
यह गीत संस्कृत और बांग्ला — दोनों भाषाओं के मिश्रण से रचा गया था।
- प्रथम
दो पद — संस्कृत में
- शेष
पद — बांग्ला भाषा में लिखे गए।
गीत में भारत माता को “सुजलाम् सुफलाम्”, “शस्य-श्यामलाम्”
कहकर उनके प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का वर्णन किया गया है।
राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore) ने इसे
संगीतबद्ध किया और 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में इसे पहली
बार सार्वजनिक रूप से गाया गया।
🌏 अनुवाद और
वैश्विक पहचान
वंदे मातरम् की शक्ति और सौंदर्य ने इसे सीमाओं से परे प्रसिद्धि
दिलाई।
- अरबिंदो
घोष (Sri Aurobindo) ने इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद
किया।
- आरिफ़
मोहम्मद ख़ान ने
उर्दू में अनुवाद किया।
यह गीत केवल भारतीयों के हृदय में ही नहीं, बल्कि विश्व में
भी अपनी छाप छोड़ गया।
सन् 2002 में बी.बी.सी. के एक वैश्विक सर्वेक्षण में “वंदे मातरम्” को दुनिया का दूसरा
सबसे लोकप्रिय गीत घोषित किया गया। आयरिश समूह द वोल्फ टोन्स का गाना "ए नेशन वन्स अगेन"
दुनिया का सबसे लोकप्रिय गीत है।
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरम्।
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदां वरदां मातरम्॥
कोटि कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले,
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले।
के बोले मा तुमी अबले,
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्,
रिपुदलवारिणीम् मातरम्॥
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि
मर्म,
त्वं हि प्राणाः शरीरे।
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे॥
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदल विहारिणी,
वाणी विद्यादायिनी नमामि त्वाम्।
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्,
सुजलां सुफलां मातरम्॥
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्,
धरणीं भरणीं मातरम्॥
वंदे मातरम् का ऐतिहासिक महत्व
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं
रहा — यह क्रांतिकारियों का नारा, जनआंदोलन
का प्रतीक, और स्वाभिमान की गूंज बन गया।
“वंदे
मातरम्” के उदघोष से भारत माता के सपूतों में बल, जोश और आत्मबल
की भावना जागृत होती थी।
यह
गीत आज भी हर भारतीय के लिए श्रद्धा और गर्व का प्रतीक है।
🌿 निष्कर्ष
“वंदे मातरम्” भारत की संस्कृति, शक्ति, भक्ति
और मातृप्रेम का सार है।
यह
हमें याद दिलाता है कि भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक जीवंत
माता है, जो अपने संतानों की रक्षा करती है और उन्हें ज्ञान, ऊर्जा
और प्रेरणा प्रदान करती है।
हर
भारतीय के हृदय से आज भी यही स्वर गूंजता है —
💖 वंदे मातरम्! जय
भारत माता! 💖
✍️ लेखक:
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